![Supreme Court questions Congress-China MoU](https://static.indiatv.in/khabar-global/images/new-lazy-big-min.jpg)
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने चीन के साथ कांग्रेस के 'करार' पर शुक्रवार को सवाल उठा दिया। शीर्ष अदालत ने चीन के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर करने पर तल्ख टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि चीन के साथ कोई राजनीतिक पार्टी किसी 'एमओयू' पर हस्ताक्षर कैसे कर सकती है? चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि किसी विदेशी सरकार ने एक राजनीतिक पार्टी के साथ कोई करार किया हो, यह बात उसने कभी नहीं सुनी।
चीफ जस्टिस के सवाल पर वकील महेश जेठमलानी की ओर से कहा गया कि ये समझौता एक राजनीतिक दल का दूसरे देश के राजनीतिक दल से है जिसपर चीफ जस्टिस ने जवाब दिया कि आपने अपनी याचिका में तो ये बात नहीं कही है। हम आपको अपनी याचिका में बदलाव करने और इसे वापस लेने का मौका दे रहे हैं।
वहीं कोर्ट ने इस एमओयू की जांच एनआईए अथवा सीबीआई से कराने की मांग वाली अर्जी सुनने से इंकार कर दिया और इस मामले हाईकोर्ट के पास ले जाने को कहा है।
बता दें कि कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चीन (सीपीसी) के बीच सात अगस्त 2008 को एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर हुआ। चीन के साथ विवाद के बीच कांग्रेस पार्टी और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के बीच हुए समझौते की बात सामने आई थी। इस करार पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) हमेशा सवाल खड़ा करती रही है।