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प्रमोशन में रिजर्वेशन की बजाय नौकरियों में अपर्याप्त प्रतिनिधित्व हो सकता है आरक्षण का आधार: SC

सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति वर्ग को पदोन्नति में आरक्षण देते वक्त उनके पिछड़ेपन के बजाय सरकारी नौकरियों में उनके अपर्याप्त प्रतिनिधित्व जैसे कारकों पर विचार किया जाना चाहिए।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : August 30, 2018 22:17 IST
Supreme Court
Supreme Court

नयी दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति वर्ग को प्रमोशन में आरक्षण देते वक्त उनके पिछड़ेपन के बजाय सरकारी नौकरियों में उनके अपर्याप्त प्रतिनिधित्व जैसे कारकों पर विचार किया जाना चाहिए। न्यायालय ने कहा कि अजा,अजजा समुदायों के सदस्यों को संवैधानिक रूप से पिछड़ा माना जाता है। 

ये टिप्पणियां चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कीं। पीठ ने उन याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख दिया जिसमें अनुसूचित जाति-जनजाति के कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण पर शर्तें लगाने वाले उसके 2006 के एम नागराज मामले के निर्णय पर सात सदस्यीय पीठ द्वारा पुनर्विचार की मांग की गई थी। 

पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 2006 में एम नागराज प्रकरण में अपने फैसले में कहा था कि राज्य इन समुदायों के सदस्यों को पदोन्नति में आरक्षण का लाभ देने से पहले सरकारी नौकरियों में इनके अपर्याप्त प्रतिनिधित्व के बारे में तथ्य, कुल प्रशासनिक क्षमता, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के पिछड़ेपन से जुड़ा आंकड़ा उपलब्ध कराने के लिये बाध्य हैं। 

केन्द्र और विभिन्न राज्य सरकारों ने भी कई आधारों पर संविधान पीठ के निर्णय पर पुनर्विचार का अनुरोध किया है। इसमें एक आधार यह भी है कि अजा-अजजा के सदस्यों को पिछड़ा माना जाता है और उनकी जाति के ठप्पे को देखते हुये उन्हें नौकरी में पदोन्नति में भी आरक्षण दिया जाना चाहिए। पीठ ने कहा, ‘‘अन्य कमजोर वर्ग और अजा, अजजा वर्ग के बीच अंतर है। पिछड़ेपन की जांच उन कमजोर वर्गों के लिए है जो अजा, अजजा नहीं हैं। जहां तक अजा, अजजा वर्ग की बात है, वे संवैधानिक रूप से पिछड़े हैं।’’ 

पीठ ने कहा कि जहां तक अजा, अजजा वर्ग की बात है, पिछड़ेपन की संकल्पना का ज्यादा महत्व नहीं है। उन्होंने कहा कि 2006 के फैसले ने सरकारी नौकरियों में अजा, अजजा वर्गों के अपर्याप्त प्रतिनिधित्व संबंधी आंकड़े के महत्व का जिक्र किया था। पीठ ने ये टिप्पणियां उस समय कीं जब वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने उच्च पदों में पदोन्नति में आरक्षण को मंजूरी का विरोध किया और कहा, ‘‘बैसाखियां हमेशा के लिए नहीं हैं और बैसाखियां सबके लिए नहीं हैं। (अजा, अजजा की) जिन पीढियों को दबाया गया वे जा चुकी हैं और जिन पीढियों ने उन्हें दबाया वे भी जा चुकी हैं।’’ 

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