Highlights
- अदालत ने कहा कि अगर दलित युवा छात्र को ऐसी स्थिति में राहत नहीं दी जाएगी तो यह न्याय का उपहास होगा।
- शीर्ष अदालत ने यह निर्देश देने के लिए संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग किया।
- छात्र को 27 अक्टूबर को सिविल इंजीनियरिंग शाखा में आईआईटी-बॉम्बे में एक सीट आवंटित की गई थी।
नई दिल्ली: तकनीकी गड़बड़ी के कारण समय पर फीस नहीं दिए जाने के कारण आईआईटी बॉम्बे में दाखिले से वंचित छात्र को सुप्रीम कोर्ट से न्याय मिला है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल करते हुए निर्देश दिया है कि छात्र को दाखिला दिया जाए। अदालत ने कहा कि अगर दलित युवा छात्र को ऐसी स्थिति में राहत नहीं दी जाएगी तो यह न्याय का उपहास होगा। जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और ए.एस. बोपन्ना ने ज्वाइंट सीट एलोकेशन अथॉरिटी (जोसा) की ओर से पेश वकील से कहा कि उन्हें इस मुद्दे पर कठोर नहीं होना चाहिए और सामाजिक जीवन की वास्तविकताओं व व्यावहारिक कठिनाइयों को समझना चाहिए।
पीठ ने कहा, "छात्र के पास पैसे नहीं थे, उसकी बहन को पैसे ट्रांसफर करने पड़े और कुछ तकनीकी मुद्दे थे। लड़के ने परीक्षा पास कर ली। अगर यह उसकी लापरवाही होती तो हम आपसे नहीं कहते।" पीठ ने आगे कहा कि इस मामले को मानवीय दृष्टिकोण से निपटाया जाना चाहिए। जोसा ने पीठ के समक्ष दलील दी कि सभी सीटें भर दी गई हैं, खाली सीट उपलब्ध नहीं है।
शीर्ष अदालत ने जोसा को इस छात्र के लिए एक सीट निर्धारित करने का निर्देश देने के लिए संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग किया। पीठ ने कहा कि यदि कोई दलित लड़का तकनीकी खामी के कारण प्रवेश लेने से चूक जाता है तो यह न्याय का एक बड़ा उपहास होगा। पीठ ने कहा, "इस अदालत के सामने एक युवा दलित छात्र है जो आईआईटी-बॉम्बे में आवंटित एक मूल्यवान सीट खोने के कगार पर है .. इसलिए, हमारे विचार से यह अंतरिम चरण में अनुच्छेद 142 का एक उपयुक्त मामला है।"
सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने जोसा के वकील से मामले को सुलझाने का रास्ता तलाशने को कहा। पीठ ने छात्र के उत्कृष्ट ट्रैक रिकॉर्ड का हवाला देते हुए कहा कि अदालत अगर ऐसे उम्मीदवार की सहायता नहीं करेगी तो किसकी करेगी। पीठ ने आदेश दिया कि किसी अन्य छात्र के प्रवेश को बाधित किए बिना लड़के को एक सीट आवंटित की जानी चाहिए।
छात्र को 27 अक्टूबर को सिविल इंजीनियरिंग शाखा में आईआईटी-बॉम्बे में एक सीट आवंटित की गई थी। याचिकाकर्ता ने 29 अक्टूबर को जोसा वेबसाइट पर लॉग इन किया था और आवश्यक दस्तावेज अपलोड किए थे, लेकिन सीट स्वीकृति शुल्क का भुगतान करने के लिए उसके पास पैसे नहीं थे। उसकी बहन ने 30 अक्टूबर को उसे पैसे ट्रांसफर कर दिए और उसने फिर से कई बार भुगतान करने की कोशिश की, लेकिन असफल रहा। छात्र के वकील ने पीठ को बताया कि वह तकनीकी खामी के कारण फीस जमा करने में विफल रहा।