नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल के चर्चित शारदा चिटफंड घोटला मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता के पूर्व पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार को राहत नहीं दी है। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राजीव कुमार की गिरफ्तारी पर आज तक लगी रोक की अवधि को आगे बढ़ाने की मांग पर सुनवाई से इंकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने राजीव कुमार से कहा कि आप कोलकाता हाईकोर्ट जा सकते हैं, वहां छुट्टियां नहीं चल रही हैं। आपकी समस्या का समाधान वहीं हो सकता है।
क्या है शारदा चिटफंड घोटाला?
सबसे पहले तीन हजार करोड़ का ये घोटाला 2013 में सामने आया था जिसमें कथित तौर पर पश्चिम बंगाल की चिटफंड कंपनी शारदा ग्रुप ने आम लोगों के ठगने का आरोप लगा था। शारदा ग्रुप पर आरोप लगा था कि इनकी ओर से 34 गुना रकम करने का वादा किया गया था और लोगों से पैसे ठग लिए।
शारदा घोटाले के सामने आने के बाद एजेंटों से निवेशकों ने पैसे मांगने शुरू किए तो कई एजेंटों ने जान तक दे दी थी। इस घोटाले को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार पर सवाल उठे थे। इसके बाद साल 2014 इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को जांच का आदेश दिया था। इसके साथ ही कोर्ट ने पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम की पुलिस को भी सीबीआई के जांच में सहयोग करने का आदेश दिया था।
शारदा चिटफंड घोटाले में क्या है राजीव कुमार का रोल?
घोटालों की जांच के लिए पश्चिम बंगाल पुलिस की एसआईटी टीम का गठन किया गया जिसका नेतृत्व राजीव कुमार ने किया था। इस कमेटी की स्थापना साल 2013 में की गई थी।खबरों के मुताबिक, सीबीआई सूत्रों का कहना है कि एसआईटी जांच के दौरान कुछ खास लोगों को बचाने के लिए कुछ अहम सबूतों के साथ छेड़छाड़ हुई थी।यह भी कहा जाता है कि घोटाले की जांच से जुड़ी कुछ अहम फाइल और दस्तावेज गायब भी हैं।
इस मामले में खोई हुई फाइलों और दस्तावेजों को लेकर सीबीआई पुलिस कमिश्नर से पूछताछ करना चाहती है। लेकिन सीबीआई ने पुलिस कमिश्नर को फरार बताया था। बता दें कि राजीव कुमार पश्चिम बंगाल कैडर के 1989 बैच के आईपीएस ऑफिसर हैं।