Saturday, December 21, 2024
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क्या गौरी लंकेश, गोविंद पानसरे, नरेंद्र दाभोलकर और कलबुर्गी की हत्या के तार एक दूसरे से जुड़े हैं?

उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा है कि अगर सामाजिक कार्यकर्ताओं नरेंद्र दाभोलकर, गोविन्द पानसरे, पत्रकार गौरी लंकेश और तर्कवादी एम एम कलबुर्गी की हत्या के मामले में ‘समानता’ है तो एक ही एजेंसी चारों मामलों की जांच कर सकती है।

Written by: Bhasha
Updated : December 11, 2018 16:10 IST
SC ने कहा है कि अगर...
Image Source : PTI SC ने कहा है कि अगर नरेंद्र दाभोलकर, गोविन्द पानसरे, गौरी लंकेश और एम एम कलबुर्गी की हत्या में ‘समानता’ है तो एक ही एजेंसी चारों मामलों की जांच कर सकती है। (File Photo)

नई दिल्ली: क्या गौरी लंकेश, गोविंद पानसरे, नरेंद्र दाभोलकर और कलबुर्गी की हत्या के तार एक दूसरे से जुड़े हैं? इस सवाल का अभी तक कोई पुख्ता जवाब नहीं है। लेकिन, उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा है कि अगर सामाजिक कार्यकर्ताओं नरेंद्र दाभोलकर, गोविन्द पानसरे, पत्रकार गौरी लंकेश और तर्कवादी एम एम कलबुर्गी की हत्या के मामले में ‘समानता’ है तो एक ही एजेंसी चारों मामलों की जांच कर सकती है।

न्यायमूर्ति उदय यू ललित और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की पीठ ने केंद्रीय जांच ब्यूरो को जनवरी के पहले सप्ताह में ये सूचित करने का निर्देश दिया कि अगर इन सभी में एक समानता नजर आती है तो उसे सभी मामलों की जांच क्यों नहीं करनी चाहिए। महाराष्ट्र सरकार के वकील ने पीठ को सूचित किया कि CBI सामाजिक कार्यकर्ता और प्रोफेसर नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के मामले की जंच कर रही है। इस मामले की जांच मुंबई उच्च न्यायालय ने जांच एजेंसी को हस्तांतरित की थी।

इस बीच, न्यायालय ने कर्नाटक पुलिस की प्रगति रिपोर्ट के अवलोकन के बाद कहा कि ऐसा लगता है कि पत्रकार गौरी लंकेश और तर्कवादी कलबुर्गी की हत्याओं के बीच संबंध है। पीठ ने महाराष्ट्र सरकार से पानसरे हत्याकांड की जांच की प्रगति के बारे में पूछा तो उसके वकील ने कहा कि ये मामला कोल्हापुर की अदालत में लंबित है।

इससे पहले दिन में कर्नाटक पुलिस ने न्यायालय को सूचित किया था कि पत्रकार गौरी लंकेश और तर्कवादी एम एम कलबुर्गी की हत्या के मामलों के बीच कुछ संबंध प्रतीत होता है। राज्य की पुलिस ने शीर्ष अदालत को ये भी बताया कि कलबुर्गी की हत्या मामले में वो तीन महीने के भीतर आरोप पत्र पेश करेगी।

इससे पहले 26 नवंबर को शीर्ष अदालत ने कर्नाटक सरकार की खिंचाई की थी और कहा था कि वो जांच में कुछ नहीं, बस, दिखावा कर रही है। साथ ही न्यायालय ने संकेत दिया था कि वो मामले को मुंबई उच्च न्यायालय स्थानांतरित कर सकती है। 

बता दें कि प्रख्तात शिक्षाविद और तर्कवादी कलबुर्गी की 30 अगस्त, 2015 को धारवाड़ में हत्या कर दी गई। सामाजिक कार्यकर्ता पानसरे की भी उसी साल 16 फरवरी को हत्या की गई थी। पत्रकार गौरी लंकेश की पांच सितंबर, 2017 को बेंगलुरू में हत्या की गई जबकि एक अन्य सामाजिक कार्यकर्ता और तर्कवादी दाभोलकर की 20 अगस्त, 2013 को हत्या की गई थी।

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