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ईवीएम पर सवाल उठाने पर छह महीने की जेल मामले में निर्वाचन आयोग को नोटिस

चुनाव नियम संहिता की धारा 49 एमए के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति ईवीएम में विसंगति के संबंध में शिकायत करता है और जांच के बाद यह गलत पाया जाता है तो शिकायतकर्ता पर 'गलत जानकारी देने के लिए' मुकदमा चलाया जा सकता है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: April 30, 2019 7:00 IST
ईवीएम पर सवाल उठाने पर छह महीने की जेल मामले में निर्वाचन आयोग को नोटिस- India TV Hindi
ईवीएम पर सवाल उठाने पर छह महीने की जेल मामले में निर्वाचन आयोग को नोटिस

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) पर सवाल उठाने पर छह महीने की जेल के कानूनी प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के बाद चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया। सुनील अहया की याचिका पर दलील सुनने के बाद प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की पीठ ने चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया। 

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चुनाव नियम संहिता की धारा 49 एमए के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति ईवीएम में विसंगति के संबंध में शिकायत (किसी विशेष पार्टी के लिए वोट किया लेकिन किसी अन्य को चला गया) करता है और जांच के बाद यह गलत पाया जाता है तो शिकायतकर्ता पर 'गलत जानकारी देने के लिए' आईपीसी की धारा 177 के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है। इस धारा के तहत छह महीने की जेल या 1,000 रुपये जुमार्ना या दोनों सजा हो सकती है। 

याचिकाकर्ता सुनील अहया ने अदालत से कहा कि यह धारा मतदाता को वोट डालने के दौरान कोई विसंगति नजर आने पर शिकायत करने से रोकती है।

उन्होंने कहा कि यह प्रावधान उचित नहीं है और इससे मतदाता सही शिकायत करने से भी हतोत्साहित होंगे। याचिकाकर्ता ने कहा, "इससे नागरिकों के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का हनन होता है, जोकि भारत के संविधान के अनुच्छेद (19) (1) के तहत एक मौलिक अधिकार है।"

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