नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के सीनियर लीडर पी चिदंबरम को प्रवर्तन निदेशालय के मामले में सोमवार तक गिरफ्तारी से राहत दे दी है लेकिन सीबीाई वाले मामले में कोई राहत नहीं दी। चिदंबरम के खिलाफ सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई दोनों के मामले लेगा। वहीं 4 दिन के रिमांड में सीबीआई चिदंबरम से हर वो सवाल कर रही है जो आईएनएक्स मीडिया घोटाले की सारी परतें खोल देगा। कोर्ट से लौटते ही चिदंबरम से पूछताछ होती रही। सीबीआई के सूत्रों ने बताया कि चिदंबरम के जवाब बाकी आरोपियों के जवाब से मेल नहीं खा रहे हैं। केस के दूसरे गवाहों के साथ बिठाकर चिदंबरम से पूछताछ हो सकती है।
सूत्रों ने यह भी बताया कि आईएनएक्स मीडिया के अलावा विदेशी निवेश के दूसरे मामलों पर भी सीबीआई की नज़र है। चिदंबरम ने वित्त मंत्री रहते हुए विदेशी निवेश पर जो फैसले लिए वो सीबीआई के रडार पर हैं। इतना ही नहीं सीबीआई ने उन सभी देशों को चिट्ठियां लिखी हैं जहां कथित तौर पर शेल कंपनी बनाकर चिदंबरम परिवार ने पैसा लगाया है।
इससे पहले गुरुवार को वकीलों की भारी भरकम फौज और लंबी लबीं दलीलें भी चिदंबरम की ज़मानत नहीं करवा सकीं। आखिरकार दिल्ली की राउज़ एवन्यू कोर्ट ने उन्हें 26 अगस्त तक सीबीआई रिमांड पर भेज दिया। कोर्ट में सीबीआई के वकील ने कहा कि चिदंबरम सबूतों से छेड़छाड़ कर सकते हैं और वो विदेश भी भाग सकते हैं।
इसका जवाब देने के लिए पी चिदंबरम के वकीलों के पास भी तर्क थे। चिदंबरम के वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट से कहा कि इस मामले में आरोपी कार्ति चिदंबरम हैं जिन्हें मार्च 2018 में दिल्ली हाईकोर्ट ने रेगुलर बेल दी है और दूसरे आरोपियों को भी जमानत मिल चुकी है। वहीं चिदंबरम कभी भी जांच से नहीं भागे।
सीबीआई को चिदंबरम से गहन पूछताछ की ज़रूरत है क्योंकि कहा जा रहा है कि कार्ति चिदंबरम और उनकी कंपनियों के ब्रिटेन के मैट्रो बैंक में 21 एकाउंट हैं। इसके साथ ही कई दूसरे देशों में भी इनके ऐसे बैंक अकाउंट और प्रॉपर्टीज हैं जिनका जिक्र चिदंबरम के चुनावी घोषणा पत्र में नहीं है। जांच एजेंसियों को इनके सबूत जुटाने है लेकिन ये आसान काम नहीं है।