Monday, December 23, 2024
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निर्भया के गुनहगारों को सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली राहत, क्यूरेटिव पिटीशन हुई खारिज

निर्भया मामले के दोषी विनय और मुकेश की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई क्यूरेटिव पिटीशन पर कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए उसे खारिज कर दिया है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated : January 14, 2020 14:19 IST
सुप्रीम कोर्ट से निर्भया के गुनहगारों को मिलेगी राहत? क्यूरेटिव पिटीशन पर आज सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट से निर्भया के गुनहगारों को मिलेगी राहत? क्यूरेटिव पिटीशन पर आज सुनवाई

नई दिल्ली: निर्भया मामले के दोषी विनय और मुकेश की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई क्यूरेटिव पिटीशन पर कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए उसे खारिज कर दिया है। ये सुनवाई जजों के चैम्बर के अंदर हुई। 5 जजों की बेंच एक चैम्बर के अंदर बैठकर इन याचिकाओं पर आपस में विचार विमर्श हुआ और यह तय हुआ कि इसपर आगे सुनवाई नही होगी। विनय और मुकेश कुमार ने अपनी फांसी की रिव्यू पेटीशन खारिज हो जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल की थी। ये दोनों के पास आखिरी कानूनी विकल्प था और क्यूरेटिव पिटीशन की सुप्रीम कोर्ट के बंद चैंबर में सुनवाई हुई।

सुप्रीम कोर्ट  के उनकी दलीलों को खारिज के बाद दोनों के पास केवल मर्सी पिटीशन का ही सहारा है। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट निर्भया के गुनहगारों की फांसी तय कर चुकी है। चारों को 22 जनववरी की सुबह 7 बजे तिहाड़ जेल में फांसी दी जाएगी। चारों दोषियों को फंदे से लटकाने का अभ्यास तिहाड़ जेल में डमी पर किया गया। जेल अधिकारियों ने यह जानकारी दी। 

जेल अधिकारियों के एक दल ने रविवार को डमी को फांसी देने का अभ्यास किया। जेल के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि दोषियों के वजन के मुताबिक ही डमी बनाई गई थी। डमी के बोरे में मलबा और पत्थर भरे थे। उन्होंने बताया कि दोषियों को जेल संख्या तीन में फांसी दी जाएगी। उत्तर प्रदेश जेल प्रशासन ने पुष्टि कर दी है कि चारों दोषियों को फांसी देने के लिए मेरठ से पवन जल्लाद को भेजा जाएगा। 

तिहाड़ जेल प्रशासन ने यूपी जेल प्रशासन से दो जल्लाद भेजने का अनुरोध किया है। चारों दोषियों को एक ही वक्त पर फांसी दी जाएगी। अधिकारियों ने बताया कि जेल के अधिकारी दोषियों से नियमित संवाद कायम रख रहे हैं ताकि उनका मानसिक स्वास्थ्य अच्छा बना रहे। इस बर्बर कांड के एक आरोपी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी जबकि एक अन्य दोषी नाबालिग था और तीन साल तक सुधार गृह में रहने के बाद उसे रिहा कर दिया गया था।

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