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सड़क हादसे में मृतकों को बंट रहे मुआवजे पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

संविधान पीठ ने कहा है कि अगर मृतक का खुद का कारोबार हो या जिसकी निर्धारित आमदनी (टैक्स को छोड़कर) हो और उसकी उम्र 40 वर्ष से कम हो तो उस वक्त जो वह कमा रहा था कि उसका 40 फीसदी अतिरिक्त मुआवजा मिलेगा। वहीं 40 से 50 वर्ष के बीच वाले लोगों के लिए यह 25

Edited by: India TV News Desk
Updated : November 01, 2017 12:36 IST
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नई दिल्ली: सड़क दुर्घटना में मारे गए लोगों के परिवार वालों को मिलने वाले मुआवजे पर सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। कोर्ट ने कहा है कि सड़क दुर्घटना में मारे गए लोगों के परिवार वालों को मुआवजे का आदेश देते समय मृतक की ‘भावी संभावनाओं’ पर विचार किया जाए। सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के सामने ऐसे कई पेचीदा सवाल थे कि क्या सड़क दुर्घटना में मारे गये व्यक्ति, जो अपना काम करता था या निजी अथवा असंगठित क्षेत्र में एक निर्धारित वेतन पर काम करता था, के आश्रित ‘भावी संभावना’ की मद के अंतर्गत मृतक को मिलने वाले वेतन का एक निश्चित प्रतिशत जोड़ने के बाद मुआवजा राशि में वृद्धि करा सकता है?

संविधान पीठ ने कहा है कि मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के तहत पीड़ि‍त परिवारों को दी जाने वाली मुआवजे की राशि तय करने से पहले यह ध्यान रखना जरूरी है कि वह तार्किक और समानता के सिद्धांत के अनुरूप हो। पीठ ने कहा है कि दुर्घटना में मारे गए व्यक्ति की आयु 40 साल से कम हो तो मृतक के वेतन का 50 फीसदी भविष्य की कमाई की संभावनाओं के तौर पर मिलना चाहिए। वहीं 40 से 50 वर्ष के बीच के मृतकों के लिए यह 30 फीसदी जबकि 50 से 60 वर्ष के बीच की आयु के मृतक के लिए यह 15 फीसदी होनी चाहिए।

संविधान पीठ ने कहा है कि अगर मृतक का खुद का कारोबार हो या जिसकी निर्धारित आमदनी (टैक्स को छोड़कर) हो और उसकी उम्र 40 वर्ष से कम हो तो उस वक्त जो वह कमा रहा था कि उसका 40 फीसदी अतिरिक्त मुआवजा मिलेगा। वहीं 40 से 50 वर्ष के बीच वाले लोगों के लिए यह 25 फीसदी और 50 से 60 वर्ष के बीच वाले मृतकों के लिए यह 10फीसदी होगा।

संविधान पीठ ने यह फैसला यह देखते हुए दिया है कि पुराने कई आदेशों में सड़क दुर्घटना पीड़ि‍तों को मिलने वाले मुआवजों में 'जोड़-घटा अलग-अलग रहा है। साथ ही पीठ ने संपदा के नुकसान पर 15 हजार रुपये, कंपनी के नुकसान के मद में 40 हजार रुपये और अंतिम संस्कार के लिए 15 हजार रुपये देने के लिए कहा है। हर तीन साल इन राशियों में 10 फीसदी का इजाफा होगा। पीठ ने कहा कि अदालत और ट्रिब्यूनल को मुआवजे की रकम तय करते वक्त व्यावहारिक रवैया अपनाना चाहिए जो वास्तविकता के करीब हो।

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