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जनसंख्या नियंत्रण के मुद्दे पर न्यायालय का केन्द्र को नोटिस

उच्चतम न्यायालय में देश में बढ़ती आबादी पर नियंत्रण के लिये दो संतानों के मानदंड सहित कतिपय उपायों के लिये दायर याचिका पर शुक्रवार को केन्द्र से जवाब मांगा।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: January 10, 2020 21:52 IST
Supreme Court, Population- India TV Hindi
Supreme Court issues notice in PIL to control Population explosion

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय में देश में बढ़ती आबादी पर नियंत्रण के लिये दो संतानों के मानदंड सहित कतिपय उपायों के लिये दायर याचिका पर शुक्रवार को केन्द्र से जवाब मांगा। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका पर केन्द्र और अन्य को नोटिस जारी किये। उपाध्याय ने इस याचिका में उच्च न्यायालय के तीन सितंबर के आदेश को चुनौती दी है। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि कानून बनाने का काम न्यायालय का नहीं बल्कि संसद और राज्य विधानमंडल का है। 

इस याचिका में कहा गया है कि उच्च न्यायालय संविधान के अनुच्छेद 21 और 21ए में प्रदत्त नागरिकों के लिये स्वच्छ वायु, पेय जल के अधिकार, स्वास्थ का अधिकार, शांतपूर्ण तरीके से सोने का अधिकार, आवास का अधिकार, आजीविका और शिक्षा के अधिकार पर गौर करने में विफल रहा है। याचिका में कहा गया है कि जनसंख्या पर काबू पाये बगैर सभी नागरिकों के लिये संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकारों को सुरक्षित नहीं किया जा सकता है।

उपाध्याय ने याचिका में यह भी दलील दी है कि जनसंख्या पर नियंत्रण के बगैर ‘स्वच्छ भारत’ और ‘बेटी बचाओ’ जैसे लक्ष्यों को हासिल नहीं किया जा सकता है। याचिका के अनुसार बढ़ती आबादी देश में प्रदूषण के साथ ही संसाधनों की कमी के लिये जिम्मेदार है। इसी वजह से रोजगार भी कम हो गये हैं। याचिका में यह भी कहा गया है कि सरकार जब तक दो करोड़ बेघर लोगों को आवास उपलब्ध करायेगी तब तक यह संख्या दस करोड़ तक पहुंच चुकी होगी।

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