Monday, November 04, 2024
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प्रवासी मजदूर मामला: '15 दिन में सभी मजदूर घर पहुंचाए जाएं' सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों को दिया निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम 15 दिन का वक्त देते हैं, ताकि राज्यों को प्रवासी श्रमिकों के परिवहन को पूरा करने की अनुमति दी जा सके। इसके साथ ही सभी राज्य रिकॉर्ड पर बताएं कि वे कैसे रोजगार और अन्य प्रकार की राहत प्रदान करेंगे।

Reported by: Gonika Arora @AroraGonika
Updated on: June 05, 2020 15:15 IST
Supreme Court, migrant Labour issue- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Supreme Court instructions on migrant Labour issue

नई दिल्ली। प्रवासी कामगारों की दुदर्शा पर स्वत: संज्ञान लिए गए मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आज शुक्रवार को सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने राज्‍यों को प्रवासी कामगारों को उनके पैतृक स्थानों तक पहुंचाने के लिये केन्द्र और राज्यों को 15 दिन का समय दिया है। प्रवासी मजदूरों के मामले से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि हम इस संबंध में कुछ निर्देश जारी करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम 15 दिन का वक्त देते हैं, ताकि राज्यों को प्रवासी श्रमिकों के परिवहन को पूरा करने की अनुमति दी जा सके। इसके साथ ही सभी राज्य रिकॉर्ड पर बताएं कि वे कैसे रोजगार और अन्य प्रकार की राहत प्रदान करेंगे। कोर्ट ने इसके साथ ही कहा कि प्रवासियों का पंजीकरण होना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट में प्रवासी मज़दूरों के मामले में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि 'भारतीय रेलवे ने 3 जून तक 4,228 ट्रेनें चलाई हैं और अब तक एक करोड़ से ज्यादा प्रवासियों को उनके पैतृक स्थान पहुंचाया गया है। सड़क मार्ग से 41 लाख और ट्रेन से 57 लाख प्रवासियों को घर पहुंचाया गया है।

केंद्र की ओर से सॉ‍लिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हमने कल हलफनामा दाखिल कर दिया है। उन्‍होंने कहा कि कोर्ट ने जो कुछ पूछा था वो सब बताया है। केंद्र की ओर से बताया गया कि विभिन्‍न राज्‍यों में फंसे श्रमिकों को उनके राज्‍य तक पहुंचाने के लिए 4,228 श्रमिक ट्रेनें तैनात की गई हैं, इसमें यूपी ने 1625 ली हैं। केंद्र सरकार की ओर से बताया गया कि अधिकतम ट्रेनें यूपी या बिहार में समाप्त हो रही  है। हम राज्य सरकारों के संपर्क में हैं।

केंद्र सरकार ने कहा कि केवल राज्य सरकार ही इस अदालत को बता सकती है कि कितने प्रवासियों को अभी स्थानांतरित किया जाना है और कितनी ट्रेनों को फिर से चलाया जाएगा। मुख्य सचिवों को पत्र भेजा गया है जिसमें पूछा गया था कि कितने श्रमिकों को अभी भी स्थानांतरित किया जाना है और इसके लिए कितनी ट्रेनें चाहिए। अब कुल आवश्यक ट्रेनें 171 हैं। राज्यों ने एक चार्ट तैयार किया है क्योंकि वे ऐसा करने के लिए सबसे अच्छी स्थिति हैं।

मामले में जब सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा कि आपके चार्ट के अनुसार महाराष्ट्र ने केवल एक ट्रेन के लिए कहा है तो सॉ‍लिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा- हां, महाराष्ट्र में हमने पहले ही 802 ट्रेनें चलाई है। इस पर बेंच ने कहा कि क्या हमें इसका मतलब यह निकालना चाहिए कि कोई अन्य व्यक्ति महाराष्ट्र नहीं जाएगा?  

जवाब में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगर कोई भी राज्य किसी भी संख्या में ट्रेनों के लिए अनुरोध करता है तो केंद्र सरकार 24 घंटे के भीतर मदद करेगी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम सभी राज्यों को अपनी मांग रेलवे को सौंपने के लिए कहेंगे। आपके अनुसार, महाराष्ट्र और बिहार में अधिक ट्रेनों की आवश्यकता नहीं है?

सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंसाल्वेस ने कहा कि रजिस्ट्रेशन सिस्टम काम नहीं कर रहा है, जो एक बड़ी समस्या है। कोर्ट ने कहा कि आप कह रहे हैं कि इस प्रणाली के काम करने के तरीके में कोई समस्या है? उपाय क्या है?

कॉलिन गोंसाल्वेस ने कहा कि आपके पास पुलिस स्टेशन या अन्य स्थानों पर स्पॉट हो सकते हैं, जहां प्रवासी जा सकते हैं और पंजीकरण फॉर्म भर सकते हैं। वहीं, वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि समस्या यह है कि इन प्रवासियों को किसी भी अन्य यात्रियों की तरह माना जा रहा है जो ट्रेन में यात्रा करना चाहते हैं।

गुजरात सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि इस मामले अब और विस्तृत जांच की आवश्यकता नहीं है। 22 लाख में से 2.5 लाख बाकी हैं. 20.5 लाख वापस भेजे गए हैं। वहीं, महाराष्ट्र सरकार ने कहा कि 11 लाख से अधिक प्रवासी वापस चले गए हैं. अभी 38000 रह गए हैं।

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