नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने एक भारतीय नौसैना अधिकारी को अन्य सहयोगी अधिकारियों की पत्नियों को अश्लील कॉल करने का दोषी पाया है। न्यायालय ने उसकी दो साल की वरिष्ठता खत्म कर तथा उसे पांच साल के वेतन से वंचित कर सेवा में बहाल किया। शीर्ष अदालत ने सैन्य बल न्यायाधिकरण (एएफटी) के आदेश को बरकरार रखा जिसने उसे सात आरोपों में दोषी ठहराया था और निर्देश दिया था कि 24 महीने की वरिष्ठता वापस लेकर उसे बहाल किया जाए।
शीर्ष अदालत ने अधिकारी की दलील को खारिज किया कि न्यायाधिकरण का निष्कर्ष ‘‘पूरी तरह से पूर्वाग्रही’’ है। न्यायमूर्ति ए के सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने कहा कि इस मामले में न्याय पूरा होगा क्योंकि अधिकारी 26 जनवरी 2013 से सेवा से बाहर है और उसकी 24 महीने की वरिष्ठता वापस ली गई है।
कोर्ट मार्शल ने अधिकारी को दस आरोपों में दोषी पाया था और उसे नौसेना से बर्खास्त करने तथा 24 महीने की वरिष्ठता वापस लेने की सजा सुनाई थी। शीर्ष अदालत ने न्यायाधिकरण और कोर्ट मार्शल के इन निष्कर्ष पर सहमति जताई कि अधिकारी ने सिम कार्ड के प्रयोग पर विरोधाभासी बातें कीं जिनके जरिए उसने अधकारियों की पत्नियों को नौसेना टेलीफोन एक्सचेंज के जरिये कॉल किये थे।