Friday, November 22, 2024
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SC ने जनवरी तक टाली जाकिया की याचिका पर सुनवाई, 2002 गुजरात दंगों से जुड़ा है मामला

उच्चतम न्यायालय ने साल 2002 के गुजरात दंगों के सिलसिले में जाकिया जाफरी की याचिका को जनवरी के तीसरे सप्ताह में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।

Written by: Bhasha
Updated on: December 03, 2018 14:53 IST
सुप्रीम कोर्ट (File Photo)- India TV Hindi
Image Source : PTI सुप्रीम कोर्ट (File Photo)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने साल 2002 के गुजरात दंगों के सिलसिले में जाकिया जाफरी की याचिका को जनवरी के तीसरे सप्ताह में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है। याचिका में जाकिया ने गुजरात हाई कोर्ट से SIT के फैसले के खिलाफ उनकी अर्जी खारिज किए जाने को चुनौती दी है। दरअसल, जाकिया ने मामले में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को विशेष जांच दल (SIT) द्वारा दी गई क्लीनचिट का विरोध किया था।

न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ ने मामले को अगले साल जनवरी के तीसरे सप्ताह में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया। अदालत ने पहले कहा था कि वो मुख्य मामले में सुनवाई से पहले जाकिया की अर्जी में सह-याचिकाकर्ता बनने के सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड के आवेदन पर भी विचार करेगी। 

पिछली सुनवाई में SIT की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा था कि जाकिया की याचिका विचारणीय नहीं है। उन्होंने मामले में सीतलवाड के दूसरी याचिकाकर्ता बनने पर भी आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा था कि जाफरी ने एक भी हलफनामा जमा नहीं किया है और सारे हलफनामे सीतलवाड ने जमा किए हैं जो खुद को पत्रकार बताती हैं। 

जाकिया की ओर से वरिष्ठ वकील सी यू सिंह ने कहा था कि मुख्य याचिकाकर्ता 80 साल की हैं इसलिए सीतलवाड को उनकी सहायता के लिए याचिकाकर्ता संख्या-2 बनाया गया है। इस पर अदालत ने कहा था कि याचिकाकर्ता की मदद के लिए किसी को सह-याचिकाकर्ता बनने की जरूरत नहीं है और वो सीतलवाड के दूसरी याचिकाकर्ता बनने के अनुरोध पर विचार करेगी।

जाफरी के वकील ने कहा था कि याचिका में नोटिस जारी किए जाने की जरूरत है क्योंकि ये 27 फरवरी, 2002 से मई 2002 की अवधि के दौरान कथित बड़ी साजिश के पहलू से संबंधित है। SIT ने इस मामले में 8 फरवरी, 2012 को क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी। जिसमें मोदी और वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों समेत 63 अन्य को क्लीन चिट दी थी। तब SIT ने कहा था कि उनके खिलाफ अभियोजन योग्य कोई साक्ष्य नहीं है।

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