नई दिल्ली। नए कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसानों के बीच चल रही खींचतान के बीच आज एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई होगी। 26 जनवरी के दिन किसान संगठनों की दिल्ली में प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली के खिलाफ याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा। दिल्ली पुलिस ने अर्जी दाखिल कर कहा है कि गणतंत्र दिवस परेड राष्ट्रीय गौरव से जुड़ा कार्यक्रम है। आंदोलन के नाम पर देश की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शर्मिंदगी की इजाजत नहीं दी जा सकती। बता दें कि, नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर पर किसानों का प्रदर्शन जारी है। सुप्रीम कोर्ट में किसान आंदोलन से जुड़ी याचिकाओं को लेकर ये सुनवाई इसलिए भी अहम है क्योंकि 19 जनवरी (मंगलवार) को सरकार और किसानों के बीच अगली वार्ता दिल्ली के विज्ञान भवन में दोपहर 12 बजे होगी।
सीजेआई की तीन जजों वाली बेंच करेगी सुनवाई
दिल्ली पुलिस ने मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट ट्रैक्टर रैली या गणतंत्र दिवस कार्यक्रम को किसी भी तरह से बाधित करने पर रोक लगाए। भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) शरद अरविंद बोबड़े की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ सोमवार (18 जनवरी) को दिल्ली की सीमाओं पर विरोध-प्रदर्शन कर रहे किसानों को लेकर विभिन्न याचिकओं पर सुनवाई करेगी। केंद्र ने दिल्ली पुलिस के माध्यम से दायर याचिका में कहा है कि गणतंत्र दिवस समारोह को बाधित करने के लिए प्रस्तावित कोई भी रैली या विरोध से देश को को शर्मिंदगी उठानी पड़ेगी।
किसान संगठनों को नोटिस जारी कर मांगा गया जवाब
12 जनवरी को, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की याचिका पर सुनवाई करने के लिए सहमति व्यक्त की और इसे 18 जनवरी को सुनवाई के लिए पोस्ट कर दिया। बेंच ने इसे लेकर प्रदर्शन कर रहे किसान यूनियनों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। केंद्र ने कहा है कि विरोध करने के अधिकार में कभी भी 'देश को वैश्विक स्तर शर्मिंदा करना' शामिल नहीं हो सकता। साथ ही कोर्ट से आग्रह किया कि किसी भी तरहा का विरोध मार्च को रोका जाए। चाहे वह ट्रैक्टर मार्च हो, ट्रॉली मार्च हो, वाहन मार्च हो या राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में प्रवेश करने का कोई अन्य तरीका हो। पिछले हफ्ते हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने किसान आंदोलन में संदिग्ध संगठनों की सक्रियता पर भी संज्ञान लिया था।
किसान गणतंत्र दिवस की परेड में बिगाड़ेंगे माहौल?
समाचार एजेंसी एएनआइ की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि किसान नेताओं ने स्पष्ट किया है कि 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली केवल हरियाणा-दिल्ली सीमाओं पर होगी और किसान गणतंत्र दिवस परेड को बाधित करने के लिए लाल किले तक पहुंचने की योजना नहीं बना रहे हैं जैसा कि कुछ लोगों द्वारा दावा किया जा रहा है। शीर्ष अदालत ने 12 जनवरी को नए कृषि कानूनों को अगले आदेशों तक लागू करने पर रोक लगा दी थी।
जानिए अबतक क्या हुआ?
बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और आंदोलनकारी किसान यूनियनों के बीच गतिरोध को हल करने के लिए चार सदस्यीय समिति का गठन किया था, लेकिन कमेटी के एक सदस्य भूपिंदर सिंह मान ने खुद को समिति से अलग कर लिया है। ऐसे में कोर्ट में यह मसला भी उठ सकता है। कोर्ट मान के बदले नए सदस्य को नियुक्त कर सकता है। वैसे कुछ संगठनों ने बाकी 3 सदस्यों- अशोक गुलाटी, अनिल घनवट और प्रमोद जोशी को भी हटाने की मांग की है। नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों और सरकार के बीच कई दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन अभी तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है। किसान तीनों कृषि कानूनों की वापसी और एमएसपी की गारंटी की मांग को लेकर अपनी जिद पर अड़े हुए हैं।
सरकार और किसानों के बीच अगली वार्ता 19 जनवरी को होनी है
सुप्रीम कोर्ट में किसान आंदोलन से जुड़ी याचिकाओं को लेकर ये सुनवाई इसलिए भी अहम है क्योंकि 19 जनवरी को सरकार और किसानों के बीच अगली वार्ता दिल्ली के विज्ञान भवन में दोपहर 12 बजे होगी। सरकार ने बीते शुक्रवार को विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों से तीन कृषि कानून के बारे में अपनी आपत्तियां और सुझाव रखने एवं ठोस प्रस्ताव तैयार करने के लिये एक अनौपचारिक समूह गठित करने को कहा जिस पर 19 जनवरी को अगले दौर की वार्ता में चर्चा हो सकेगी। तीन केंद्रीय मंत्रियों के साथ शुक्रवार को हुई नौवें दौर की वार्ता में प्रदर्शनकारी किसान तीनों नए विवादित कृषि कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग पर अड़े रहे जबकि सरकार ने किसान नेताओं से उनके रुख में लचीलापन दिखाने की अपील की एवं कानून में जरूरी संशोधन के संबंध अपनी इच्छा जतायी।
(इनपुट-भाषा/एएनआई)