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किसान आंदोलन: बॉर्डर पर डटे किसानों पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी, कहा- सड़क जाम नहीं कर सकते

दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों के सड़कें बंद करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है। दिल्ली के बॉर्डर से किसानों को हटाने के लिए दायर याचिका पर कोर्ट ने समय देते हुए 7 दिसंबर को अगली सुनवाई तय की है। मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस एसके कौल ने कहा कि सड़कें साफ होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हम बार-बार कानून तय करते नहीं रह सकते। आपको आंदोलन करने का अधिकार है, लेकिन सड़क जाम नहीं कर सकते।

Reported by: Gonika Arora @AroraGonika
Published on: October 21, 2021 12:38 IST
किसान आंदोलन: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- आंदोलन आपका अधिकार है लेकिन सड़क जाम नहीं कर सकते, 7 दिसंबर को अ- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV किसान आंदोलन: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- आंदोलन आपका अधिकार है लेकिन सड़क जाम नहीं कर सकते, 7 दिसंबर को अगली सुनवाई

नई दिल्ली। किसान आंदोलन के चलते बंद रास्ते को खुलवाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को भी कोई आदेश नहीं दिया। दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों के सड़कें बंद करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को नाराजगी जताई। दिल्ली के बॉर्डर से किसानों को हटाने के लिए दायर याचिका पर कोर्ट ने समय देते हुए 7 दिसंबर को अगली सुनवाई तय की है। कोर्ट ने किसान संगठनों को याचिका की कॉपी सौंपने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा- जवाब देखने के बाद कोई आदेश दिया जाएगा। कोर्ट में SG तुषार मेहता और किसानों की तरफ से वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे और प्रशांत भूषण कोर्ट रूम में अपनी-अपनी दलीलें रखीं। 

हम बार-बार कानून तय करते नहीं रह सकते- एसके कौल

मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस एसके कौल ने कहा कि, सड़कें साफ होनी चाहिए। हम बार-बार कानून तय करते नहीं रह सकते, आपको आंदोलन करने का अधिकार है लेकिन सड़क जाम नहीं कर सकते। अब कुछ समाधान निकालना होगा। मामला विचाराधीन होने पर भी उन्हें विरोध करने का अधिकार है लेकिन सड़कों को जाम नहीं किया जा सकता। उन सड़कों पर लोगों को आना-जाना पड़ता है, हमें सड़क जाम के मुद्दे से समस्या है। एसजी तुषार मेहता ने कहा- 26 जनवरी का मुद्दा गंभीर था। वहीं कोर्ट के सामने आज सिर्फ़ 2 किसान संगठन पेश हुए। दुष्यंत दवे ने सुनवाई के दौरान कहा कि इस मसले का सिर्फ़ एक ही हल है कि किसानों को रामलीला मैदान में आने दिया जाए, वे वहां अपना प्रदर्शन करेंगे

जस्टिस कौल ने कहा कि मिस्टर दवे आप ये कहना चाहते हैं कि सड़कों को ब्लॉक किया जा सकता है या दिल्ली पुलिस ने सड़कों को बंद करके रखा है। दवे ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने जिस तरीक़े से इंतज़ाम किए हैं उस वजह से सड़कें ब्लॉक हैं और जताया ये जा रहा है कि किसानों ने सड़कों को ब्लॉक कर रखा है। हमें रामलीला मैदान आने दीजिए। जस्टिस कौल ने कहा कि रामलीला मैदान और जंतर-मंतर कई लोगों का घर है, कुछ लोग उसी पर निर्भर हैं।

अदालत में सॉलिटिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही कृषि कानूनों पर रोक लगा दी है। कभी-कभी आंदोलन वास्तविक कारण के लिए नहीं बल्कि अन्य कारणों के लिए होते हैं। इस पर विरोध जताते हुए दुष्यंत दवे ने कहा कि क्या कृषि कानून एक परोक्ष मुद्दा है? ये किसानों की सच्चाई पर सवाल उठा रहे हैं।

बता दें कि, कोर्ट ने पिछली सुनवाई में किसानों को पार्टी बनाया था और किसानों को नोटिस भी जारी किया था। किसानों की तरफ से वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे और प्रशांत भूषण ने पक्ष रखा। आज से कोर्ट में फिजिकल सुनवाई की शुरुआत हुई है। किसान आंदोलन के चलते बाधित दिल्ली की सड़कों को खोलने के लिए मोनिका भारद्वाज और हरियाणा सरकार की याचिका दायर की है। किसान आंदोलन के मुद्दे पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हम आपके विरोध के अधिकार के खिलाफ नहीं लेकिन सड़कें खाली होनी चाहिए। किसान नेताओं की तरफ से कहा गया, सड़क को पुलिस ने बंद किया, हमे रामलीला मैदान आने दिया जाए।  

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