नई दिल्ली: अदालत की अवमानना से जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण का स्पष्टीकरण स्वीकार नहीं किया है। भूषण पर साल 2009 में अदालत की अवमानना का मामला दर्ज किया गया था। कोर्ट ने कहा है कि वह 2009 में वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ दर्ज हुए अवमानना मामले की सुनवाई करेगी। कोर्ट ने ये भी कहा कि वह इस बात पर विस्तार से सुनवाई करेगी कि न्यायाधीशों के खिलाफ भ्रष्टाचार पर कोई टिप्पणी करना अदालत की अवमानना है या नहीं।
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि कोर्ट ने यह सुनने का फैसला किया है कि क्या तहलका पत्रिका के एक साक्षात्कार में उच्च न्यायपालिका के खिलाफ वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण द्वारा की गई टिप्पणी "अवमानना" है। शीर्ष अदालत 17 अगस्त को इस मामले में आगे सुनवाई करेगी।
पिछले हफ्ते शीर्ष अदालत ने कहा था कि अगर वह "भूषण के स्पष्टीकरण/माफी को स्वीकार नहीं करते हैं" तो इस मामले की सुनवाई आगे बढ़ेगी।
जस्टिस अरुण मिश्रा, बी.आर.गवई और कृष्ण मुरारी की एक खंडपीठ ने कहा था, "हमने कुछ समय तक पक्षकारों की बात सुनी है। प्रशांत भूषण/प्रतिवादी नंबर 1 और तरुण तेजपाल/प्रतिवादी नंबर 2 द्वारा प्रस्तुत स्पष्टीकरण/माफी अब तक प्राप्त नहीं हुई है। यदि हम स्पष्टीकरण/माफी स्वीकार नहीं करते हैं, तो हम मामले की सुनवाई करेंगे। हम आदेश सुरक्षित रखते हैं।"