केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाने की वैधता को चुनौती देने वाली करीब 20 से ज्यादा याचिकाओं पर अब 14 नवंंबर को सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ सुनवाई करेगी। आज इस मामले पर सुनवाई करते हुए संवैधानिक पीठ ने केंद्र सरकार से 4 हफ्तों में जवाब मांगा है। साथ ही कोर्ट ने कहा अब इस मामले में कोई और याचिका को शामिल नहीं किया जाएगा। 4 हफ्ते में केंद्र सरकार को 370 पर दायर सभी याचिकाओं पर जवाब दाखिल करना होगा। कोर्ट ने कहा 28 दिन से एक भी दिन ज़्यादा नहीं दिया जाएगा। केंद्र सरकार के जवाब दाखिल करने के बाद 1 हफ्ता याचिकाकर्ताओं को उनका जवाब दाखिल करने के लिए भी दिया जाएगा।
सोमवार को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने 20 से ज्यादा याचिकाएं संविधान पीठ को सौंपी थीं। जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ में जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत शामिल हैं।
याचिकाकर्ताओं में कश्मीर टाइम्स की संपादक अनुराधा भसीन, समीर कौल, सीताराम येचुरी, बाल अधिकार संरक्षण कार्यकर्ता इनाक्षी गांगुली और प्रोफेसर शांता सिन्हा शामिल हैं। कश्मीर टाइम्स की संपादक अनुराधा भसीन की याचिका में इंटरनेट और फोन सेवाएं ठप होने और लोगों पर प्रतिबंध लगाए जाने का मुद्दा उठाया गया है।
इसके अलावा नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता अकबर लोन, हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस हसनैन मसूदी, पूर्व आईएएस शाह फैजल, सामाजिक कार्यकर्ता शेहला रशीद, वकील एमएल शर्मा सहित 15 लोगों ने अनुच्छेद-370 को हटाने और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है। राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग की पहली अध्यक्ष प्रोफेसर शांता सिन्हा, सामाजिक कार्यकर्ता इनाक्षी गांगुली ने बच्चों की हिरासत का मुद्दा उठाया है।