नयी दिल्ली: भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एन वी रमण की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने बंबई, गुजरात, ओडिशा और पंजाब तथा हरियाणा के हाईकोर्ट में न्यायाधीशों के तौर पर प्रमोशन के लिए 16 नामों की सिफारिश की है। बुधवार को हुई बैठक में कॉलेजियम ने इन चार हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के तौर पर प्रमोशन के लिए 16 नामों के प्रस्ताव को मंजूरी दी। इसमें छह न्यायिक अधिकारी और 10 अधिवक्ता हैं।
सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर बृहस्पतिवार को अपलोड किए गए बयानों के अनुसार, कॉलेजियम ने चार न्यायिक अधिकारियों ए एल पंसारे, एस सी मोरे, यू एस जोशी फाल्के और बी पी देशपांडे की बंबई हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के तौर पर प्रमोशन के प्रस्ताव को मंजूरी दी। इसी तरह कॉलेजियम ने वकील आदित्य कुमार महापात्रा और मृगंक शेखर साहू तथा न्यायिक अधिकारी राधा कृष्ण पटनायक और शशिकांत मिश्रा को ओडिशा हाईकोर्ट का न्यायाधीश बनाए जाने की सिफारिश की है। कॉलेजियम ने गुजरात हाईकोर्ट के लिए सात वकीलों एम.मनीष भट, समीर जे दवे, हेमंत एम प्रच्छाक, संदीप एन भट, अनिरुद्ध प्रद्युम्न मायी, नीरल रश्मिकांत मेहता और निशा महेंद्रभाई ठाकुर को न्यायाधीश के तौर पर प्रमोट किए जाने की सिफारिश की है।
एक बयान में कहा गया है, ‘‘सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने 29 सितंबर 2021 को हुई अपनी बैठक में वकील संदीप मुद्गिल को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में न्यायाधीश के तौर पर पदोन्नत किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है।’’ सीजेआई के अलावा तीन सदस्यीय कॉलेजियम में न्यायमूर्ति यू यू ललित और न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर शामिल हैं। कॉलेजियम हाईकोर्ट में नियुक्तियों की सिफारिश करता है। कॉलेजियम देश में उच्चतर न्यायपालिका में बड़ी संख्या में रिक्तियों को भरने के लिए नामों की सिफारिश करता रहा है।
इस साल अप्रैल में सीजेआई का पदभार संभालने के बाद न्यायमूर्ति रमण ने विभिन्न हाईकोर्ट में नियुक्ति के लिए करीब 100 नामों की सिफारिश की है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों के नौ पदों के लिए नामों की सिफारिश की। कॉलेजियम ने 17 अगस्त को लिए ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों के तौर पर पदोन्नति के लिए नौ न्यायाधीशों के नाम की सिफारिश की थी जिसमें तीन महिलाएं शामिल थी। केंद्र द्वारा मंजूरी मिलने के बाद 31 अगस्त को नए न्यायाधीशों ने शपथ ली। देश में 25 हाईकोर्ट में न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 1,080 है लेकिन एक मई 2021 तक केवल 420 न्यायाधीश ही सेवारत थे।