नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने 2016 में केरल में एक हिंदू लड़की के धर्मातरण और शादी की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से जांच कराने का बुधवार को आदेश दिया। सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिृवत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर.वी. रविंद्रन जांच की निगरानी करेंगे। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जगदीश सिंह खेहर और न्यायमूर्ति डी.वाय. चंद्रचूड़ की सदस्यता वाली पीठ ने मामले में जांच का आदेश देते हुए अंतिम फैसला लेने से पहले अदालत में लड़की की पेशी की आवश्यकता बताई। ये भी पढ़ें: कश्मीर पर PM मोदी के बयान का J&K में जोरदार स्वागत, जानिए किसने क्या कहा?
पीठ ने कहा कि अदालत एनआईए, केरल सरकार और अन्य सभी से इस मामले में विवरण लेने के बाद ही फैसला लेगी। अदालत ने यह आदेश याचिकाकर्ता शफीन जहां के वकील कपिल सिब्बल के यह कहने के बाद दिया कि अदालत को लड़की से बात करने के बाद ही कोई फैसला लेना चाहिए। केरल उच्च न्यायालय ने धर्म परिवर्तन करने वाली लड़की की जहां से शादी रद्द कर दी थी। याचिकाकर्ता जहां ने उच्च न्यायालय के फैसले को शीर्ष न्यायालय में चुनौती दी है। वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने पीठ से कहा कि यह अंतर-धार्मिक मामला है, इसलिए अदालत को इसमें सावधानी बरतनी चाहिए।
क्या है मामला?
केरल की रहनी वाली अखिला के पिता केएम अशोकन ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर आरोप लगाया था कि मुस्लिन युवक शफ़िन ने उनकी बेटी को बहला-फुसलाकर पहले धर्म परिवर्तन कराया और फिर शादी कर ली। उन्होंने शफ़िन पर आरोप लगाते हुए कहा कि वो उनकी बेटी पर आईएसआईएस में शामिल होने का दबाव बना रहा है। इसी आधार पर अशोकन ने हाई कोर्ट में इस शादी को तोड़ने के लिए याचिका दाखिल की थी।
जिसके बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि शादी जीवन का सबसे अहम फैसला है और उसे इसमें अपने माता-पिता की सलाह लेनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि कथित तौर पर हुई शादी बकवास है और कानून की नजर में इसकी कोई अहमियत नहीं है। हाईकोर्ट ने अशोकन की बेटी अखिला को सुरक्षा देने के लिए कोट्टयम जिला पुलिस को निर्देश दिया था।
अब तक महिला छात्रावास में रह रही अखिला अदालत के आदेश पर अब अपने पिता अशोकन के साथ रह पाएगी। अदालत ने पुलिस को मामले की जांच के भी आदेश दिए थे। हालांकि अखिला ने कोर्ट के सामने कहा था कि उसने अपनी मर्जी से मुस्लिम धर्म कबूल किया है।