तंजावुर (तमिलनाडु): दक्षिण भारत में अत्याधुनिक युद्धक विमान सुखोई-30 एमकेआई का पहला स्क्वाड्रन सोमवार को यहां वायुसेना स्टेशन पर तैनात किया गया। इस लड़ाकू विमान को अद्यतन किया गया है और यह ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलें भी ले जाने में सक्षम है। एक रक्षा विज्ञप्ति के अनुसार, इस नए स्क्वाड्रन से भारतीय वायुसेना की वायु रक्षा क्षमता बढ़ेगी और सामरिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद महासागर क्षेत्र में निगरानी सुनिश्चित हो सकेगी।
मौके पर मौजूद रहे CDS बिपिन रावत
सुखोई-30 एमकेआई के स्क्वाड्रन की तैनाती के मौके पर प्रमुख रक्षा अध्यक्ष बिपिन रावत, वायुसेना प्रमुख राकेश कुमार सिंह भदौरिया सहित अन्य शीर्ष अधिकारी मौजूद थे। आधुनिक तकनीकों से लैस यह विमान सभी मौसम में वृहद भूमिका निभाने में सक्षम है। माना जा रहा है कि सुखोई-30 एमकेआई के स्क्वाड्रन की तैनाती से हिंद महासागर क्षेत्र में भारतीय वायुसेना की ताकत बढ़ गई है। अब इस क्षेत्र में वायुसेना की नजरों से दुश्मत का किसी भी हाल में बचना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है।
सुखोई से ब्रह्मोस मिसाइल का पहला सफल परीक्षण
बता दें कि वायुसेना ने ब्रह्मोस मिसाइल का लड़ाकू विमान सुखोई से पहला सफल परीक्षण 22 नवंबर 2017 को किया था, जो पूरी तरह से सफल रहा था। लड़ाकू विमान से छोड़े जाने के बाद मिसाइल ने बंगाल की खाड़ी में लक्ष्य को भेदा। इसके साथ ही भारतीय वायुसेना की मारक क्षमता में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है। तभी से देश के 40 सुखोई लड़ाकू विमानों में परिवर्तन करते हुए उन्हें ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों का प्रक्षेपण करने की क्षमता वाला बनाने का काम शुरू तेज हो गया था।
ब्रह्मोस मिसाइल की विशेषता
- इसे वर्टिकल या सीधे कैसे भी प्रक्षेपक से दागा जा सकता है।
- यह 10 मीटर की ऊंचाई पर उड़ान भर सकती है और रडार की पकड में नहीं आती।
- रडार ही नहीं किसी भी अन्य मिसाइल पहचान प्रणाली को धोखा देने में सक्षम है। इसको मार गिराना लगभग असंभव है।
- ब्रह्मोस अमरीका की टॉम हॉक से लगभग दुगनी अधिक तेजी से वार कर सकती है, इसकी प्रहार क्षमता भी टॉम हॉक से अधिक है।
- आम मिसाइलों के विपरित यह मिसाइल हवा को खींच कर रेमजेट तकनीक से ऊर्जा प्राप्त करती है।
- यह मिसाइल 1200 यूनिट ऊर्जा पैदा कर अपने लक्ष्य को तहस नहस कर सकती है।
सुखोई-30 एमकेआई और ब्रह्मोस मिसाइल का कॉम्बिनेश
ऐसे ताकतवर और विनाशक मिसाइल को ले जाने में सुखोई-30 एमकेआई क्षमता दुश्मन के लिए खौफ की वजह है। सुखोई-30 एमकेआई और ब्रह्मोस मिसाइल का कॉम्बिनेशन से भारतीय वायुसेना की ताकत बढ़ी है। ऐसे में अब दक्षिण भारत में सुखोई-30 एमकेआई की तैनाती से हिंद महासागर क्षेत्र में निगरानी सुनिश्चित हो सकेगी और दुश्मन घुसपैठ करने से पहले 100 बार सोचेगा।