नई दिल्ली: नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परिजन बर्लिन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे और बोस से जुड़ी फाइलों के खुलासे की मांग भी करेंगे. नेताजी के परिवार के सदस्य चंद्र कुमार बोस ने ये मांग की है कि मोदी सरकार जल्द से जल्द सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी 160 गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक करे।
नेताजी के परिवार वालों ने जासूसी पर दुख जताया है और पूरे मामले की न्यायिक जांच की मांग की है। नेताजी की जासूसी किए जाने के खुलासे के बाद बोस के परिवार में काफी नाराजगी देखी जा रही है.
इंटेलिजेंस ब्यूरो के दस्तावेजों के हवाले से यह खुलासा हुआ था कि भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने करीब दो दशकों तक नेताजी सुभाष चंद्र बोस के रिश्तेदारों की जासूसी करवाई थी। गुप्त सूची से हाल ही में हटाई गईं इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) की दो फाइलों से यह खुलासा हुआ है। फाइलों से पता चला है कि 1948 से 1968 के बीच सुभाष चंद्र बोस के परिवार पर अभूतपूर्व निगरानी रखी गई थी। इन 20 साल में से 16 साल तक नेहरू देश के प्रधानमंत्री थे और आईबी उन्हीं के अंतर्गत काम करती थी।
जानकारी के मुताबिक, फाइलों में बोस के कोलकाता स्थित दो घरों की निगरानी का जिक्र है। इनमें से एक वुडबर्न पार्क और दूसरा 38/2 एल्गिन रोड पर था। बोस के घरों की जासूसी ब्रिटिशराज में शुरू हुई थी, लेकिन चौंकाने वाली बात है कि इसे नेहरू सरकार ने भी करीब दो दशक तक जारी रखा।