नई दिल्ली: केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन अगर नहीं चल रहा होता तो पंजाब के 22 वर्षीय छात्र नवपाल सिंह अमेरिका के टेक्सास से इस समय वापस आने की कोई योजना नहीं बनाते। सिंह ने कहा, "इस प्रदर्शन ने मुझे यहां आने के लिए बाध्य कर दिया।’’ सिंह मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्र हैं और उनके पिता तथा दादा किसान हैं।
आंदोलन से दूर नहीं रह सकता था: नवपाल सिंह
सिंह ने कहा, ‘‘पिछली बार मैं एक साल से भी कम समय पहले मार्च में घर आया था, इसलिए फिर से आने की कोई योजना नहीं थी, लेकिन जिस तरह से यह आंदोलन हो रहा है, मैं इससे दूर नहीं रह सकता था।" उल्लेखनीय है कि हजारों किसान नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी किसानों में ज्यादातर पंजाब और हरियाणा से हैं।
सोमवार को भारत लौटे नवपाल सिंह
सिंह सोमवार को भारत आए और उसके बाद से वह हर दिन पंजाब के जालंधर में अपने पैतृक गांव तथा सिंघू बोर्डर के बीच की यात्रा कर रहे हैं। सिंह भले ही खुद किसान नहीं हैं, लेकिन उन्होंने अपनी कृषि पृष्ठभूमि के कारण आंदोलन का हिस्सा बनने की जरूरत महसूस की क्योंकि खेती से ही उन्हें शिक्षा ग्रहण करने का मौका मिला।
"किसानों के बिना अमेरिका में नहीं जी पाऊंगा"
सिंह ने कहा, ‘‘लोग सोच सकते हैं कि मेरा खेती से सीधा संबंध नहीं है कि मैं अमेरिका में पढ़ रहा हूं, मैं वहीं काम करूंगा और वहां शादी करूंगा, लेकिन मेरे पिता और दादा किसान हैं।’’ उन्होंने कहा, "मैं किसानों के बिना अमेरिका में जीवन नहीं जी पाऊंगा और अभी मेरी यह जिम्मेदारी है कि मैं आगे आकर अधिकारों की लड़ाई में उनके साथ खड़ा रहूं।"
कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं किसान
उल्लेखनीय है कि कृषि कानूनों को लेकर बने गतिरोध को दूर करने के लिए किसान संगठनों के प्रतिनिधियों और सरकार के साथ कई दौर की बातचीत हो चुकी है। हालांकि, इसके बाद भी गतिरोध दूर नहीं हो सका है। अगले दौर की वार्ता शुक्रवार को निर्धारित है।