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पराली जलाना दिल्ली के लिए ‘‘मृत्युदंड’’ बन गया है: बाबुल सुप्रियो

केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने बुधवार को कहा कि सर्दियों से पहले पंजाब और हरियाणा में पराली जलाना दिल्लीवासियों के लिए ‘‘मौसमी सौगात’’ है और इसके चलते होने वाले भीषण वायु प्रदूषण के कारण यह उनके लिए ‘‘मृत्युदंड’’ के समान बन गया है।

Reported by: PTI
Published on: November 06, 2019 20:22 IST
babul supriyo- India TV Hindi
babul supriyo

कोलकाता: केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने बुधवार को कहा कि सर्दियों से पहले पंजाब और हरियाणा में पराली जलाना दिल्लीवासियों के लिए ‘‘मौसमी सौगात’’ है और इसके चलते होने वाले भीषण वायु प्रदूषण के कारण यह उनके लिए ‘‘मृत्युदंड’’ के समान बन गया है। यहां ‘इंडियन इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल’ के पांचवें संस्करण में उन्होंने कहा कि दिल्ली एवं अन्य शहरों में वायु प्रदूषण से लड़ने का ‘‘सही तरीका’’ लागू नहीं किया गया है।

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कोष की मांग करने का जिक्र करते हुए केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री ने कहा कि उन्हें ‘‘खुद के अंदर झांककर देखना’’ चाहिए, खासकर तब जब पराली जलाने के बजाय इसके प्रबंधन के लिए राज्य को मशीनें दी गई हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली में वाहन प्रदूषण कम है और तस्वीरों एवं टेलीविजन पर धूमकोहरे की जो तस्वीरें हम देखते हैं वह आम तौर पर धूलकण, जैव ईंधन और पराली जलाने तथा मानव जाति की लापरवाह गतिविधियों के कारण होता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘पराली जलाना दिल्ली वालों के लिए मौसमी सौगात बन गया है और हवाएं भी इसमें मदद नहीं कर पा रही हैं नतीजतन राष्ट्रीय राजधानी मृत्युदंड से गुजर रही है।’’

उन्होंने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री ने पिछले साल फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने और कोष की मांग करते हुए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था। उन्होंने कहा, ‘‘यह अपील खारिज कर दी गई क्योंकि किसी एक विशेष राज्य को यह छूट नहीं दी सकती है। इस साल उनकी ओर से ऐसा ही पत्र आया है। वास्तव में उन्हें अपनी गिरेबान में झांकना चाहिए।’’

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पराली को जलाये बिना उसे खाद में तब्दील करने के लिए पंजाब को 1500 मशीनें दी गईं थीं। इसमें केंद्र से अक्टूबर में 2,000 करोड़ रुपये की मांग की गई थी ताकि प्रदूषण और मिट्टी के कटान की रोकथाम के लिए वे धान के पुआल को जलाये बिना उन्हें हटा सकें। दिल्ली सरकार शहर में पड़ोसी राज्यों में फसलों के अवशेष जलाये जाने को जहरीले धुंध का कारण बता चुकी है और किसान पराली जलाने का कोई व्यवहार्य विकल्प नहीं होने के कारण अपनी असमर्थता जता चुके हैं।

उन्होंने कहा कि लोगों की लापरवाह गतिविधियां भी पर्यावरण क्षति का अहम कारक है। उन्होंने कहा कि हर मंत्रालय के भीतर एक लघु विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय होना चाहिए ताकि उन्हें वैज्ञानिक तरीके से कुछ नया करने के लिए समृद्ध बनाया जा सके।

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