नई दिल्ली: दिवाली से 6 दिन पहले भारतीय सेना को एक बहुत बड़ा गिफ्ट मिला है। इस गिफ्ट का नाम है कर्नल चेवांग रिनचेन ब्रिज। लद्दाख के इलाके में भारत ने चीन की सीमा पर 1400 फीट लंबे पुल को तैयार किया है। भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत इस पुल पर कुछ कदम चले लेकिन ऐसा करने में भारत को 72 साल का लंबा वक़्त लग गया। ये पुल दिखने में भले ही छोटा है लेकिन इससे चीन की चिंता बहुत बढ़ गई है क्योंकि ये पुल चीन की सीमा पर भारतीय सेना की ताक़त को दोगुनी करने की शक्ति रखता है।
दिखने में तो ये भले ही 1400 फीट की लंबाई वाला एक सामान्य सा पुल लगता है लेकिन इस छोटे से पुल ने चीन जैसी महाशक्ति को चिंता में डाल दिया है। सबसे ख़ास बात ये है कि चीन की तमाम धमकियों के बाद भी भारतीय सैनिकों ने चीन की आंखों में आंखें डालकर इस पुल का निर्माण किया है। इस पुल की सबसे खास बात ये भी है भारतीय सेना अब तय समय से पहले चीन के बॉर्डर पर पहुंच सकते हैं। इसके अलावा सेना के बड़े-बड़े टैंक भी बहुत आसानी से इस पुल से गुज़र कर एलएसी पर पहुंच जायेंगे।
यह पुल जम्मू कश्मीर के लद्दाख के इलाके में दुरबुक और दौलत बेग ओल्डी रोड पर श्योक नदी के ऊपर बनाया गया है। डीएसडीबीओ (दरबुक-शयोक-दौलत बेग ओल्डी) नाम की इस सड़क के निर्माण की वजह से भारत चीन के बीच एक विवाद रहा है। 14650 फीट की ऊंचाई पर बनाया गया ये पुल चीन की एलएसी से करीब 45 किलोमीटर पहले है, जबकि चीन के बॉर्डर पर मौजूद काराकोरम पास इस पुल से बहुत नज़दीक है। इस पुल की सबसे ख़ास बात ये है कि इससे भारतीय सैनिकों को चीन सीमा पर पहुंचने में करीब 1 घंटे से कम समय लगेगा।
इस पुल से भारतीय सेना के करीब 70 टन वज़न वाले टैंक आसानी से गुज़र सकते हैं और दुनिया के सबसे ऊंचे एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड यानी दौलत बेग ओल्डी एयरबेस पर तय समय से पहले पहुंचा जा सकता है। जानकार मानते हैं कि ये पुल चीन से रणनीतिक मुकाबला करने के लिए भी महत्वपूर्ण है। पूरी दुनिया ये जानती है कि चीन भारतीय सीमाओं से लगे लद्दाख के इलाकों में घुसपैठ करने की कोशिश करता रहा है। ऐसे इस पुल का निर्माण करना कोई आसान काम नहीं था।
भारत चीन सीमा पर सड़क निर्माण के विवाद का एक लंबा इतिहास रहा है। भारत चीन की सीमा पर मौजूद करीब 255 किलोमीटर लंबी डीएसडीबीओ यानी दरबुक-शयोक-दौलत बेग ओल्डी सड़क पर चीन की हमेशा से नज़र रही है। चीन ये कभी नहीं चाहता कि भारत इस सड़क पर किसी तरह का निर्माण करे क्योंकि इस सड़क के ज़रिेये ही भारत के सैनिक चीन के बॉर्डर पर पहुंचते हैं जो उसे मंजूर नहीं है। चीन के सैनिक आये दिन इन इलाकों में घुसपैठ की कोशिश करते रहते हैं लेकिन भारतीय सेना भी इसका जवाब देती आयी है। आपको जानकर हैरानी होगी कि कुछ वर्ष पहले तक इस सड़क पर गुज़रने के लिए भारतीय सैनिकों को कई किलोमीटर तक पैदल या खच्चर पर चलना पड़ता था।