नई दिल्ली: निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले के चार दोषियों मुकेश सिंह, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय कुमार सिंह को शुक्रवार सुबह 5:30 बजे फांसी दे दी गई। फांसी का यह वक्त वारदात के 7 साल, 3 महीने, 4 दिन बाद आया। वो तारीख थी 16 दिसंबर, साल था 2012, बस का नम्बर था DL 1PC 0149 और जगह थी दिल्ली के मुनिरका का बस स्टॉप। यहां से निर्भया और उसका दोस्त बस में चढ़े। वो नहीं जानते थे कि दिल्ली की बरसती सर्द ठंड ने बस में पहले से मौजूद लोगों के अंदर वाले इंसान को जमा दिया है।
वारदात के 13 दिन बाद सबको छोड़ गई निर्भया
एक नाबालिग समेत बस में मौजूद छह लोगों ने निर्भया को अपनी हवस को शिकार बनाया और उसके साथ बर्बरता की। निर्भया के दोस्त को पीटा और फिर दोनों को महिपालपुर के पास सड़क किनारे छोड़कर चले गए। निर्भया का दोस्त राहगीरों से मदद मांगता रहा लेकिन बड़े शहर के छोटे चरित्र ने उनकी बेबसी और लाचारगी को दरकिनार कर दिया। थोड़ा वक्त बीता तो मौके पर पुलिस पहुंची, जिसने निर्भया को सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया। हालत में कोई सुधार नहीं हुआ तो उसे सिंगापुर के एलिजाबेथ अस्पताल ले जाया गया लेकिन वारदात के 13 दिन बाद अब अस्पताल में निर्भया ने दम तोड़ दिया।
वारदात वाली रात में क्या हुआ?
उस रात बस में छह दरिंदों ने हैवानियत की सारी हदें पार कर कीं। उन्होंने निर्भया के प्राइवेट पार्ट में रॉड डाली, जिससे उसकी आंतें तक बाहर निकल आईं थीं। निर्भया को बस के पीछले हिस्से में ले जाकर मारा-पीटा गया और यहीं उसके साथ सभी अपराधियों ने बारी-बारी से बलात्कार किया। दोषियों ने निर्भया के विरोध करने पर लोहे की रॉड उसके शरीर में डाल दी। इस दौरान दोषियों के कुछ साथी निर्भया के दोस्त को भी मार रहे थे। निर्भया के एक दोषी मुकेश सिंह के मुताबिक, निर्भया जितनी कोशिश कर सकती थी उसने खुद को बचाने की उतनी कोशिश की।
एक दोषी की 'वहशी' सोच
एक मीडिया संस्थान को दिए पुराने इंटरव्यू में मुकेश ने कहा था कि 'अगर लड़की और उसका दोस्त हमे रोकने की कोशिश नहीं करते तो हम उनकी ऐसी हालत नहीं करते। जो हो रहा था, उन्हें चुपचाप वह होने देना था।' इस इंटरव्यू में मुकेश ने यह भी कहा था कि जो लड़की रात को बाहर निकलती है वह बदमाशों की ध्यान अपनी ओर खींचती है। इसके लिए वह खुद ही जिम्मेदार होती है। रेप के लिए एक लड़की आरोपी लड़के से ज्यादा जिम्मेदार होती है।' यह इंटरव्यू एक डॉक्यूमेंट्री का हिस्सा था, जिसे भारत सरकार ने बैन कर दिया था।
छह दोषियों में से चार को फांसी
निर्भया के छह दोषियों में से चार को ही फांसी दी गई है क्योंकि एक दोषी ने पहले ही जेल में आत्महत्या कर ली थी और एक अन्य नाबालिग दोषी को वारदात के बाद तीन साल के लिए जुवेनाइल जेल भेजा गया था, जहां से वह रिहा हो चुका है। ऐसे में बचे चार दोषी, जिन्हें अब फांसी के फंदे पर लटका दिया गया है। दोषी राम सिंह ने 11 मार्च को तिहाड़ जेल में कथित रूप से फांसी लगाई थी।