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कृषि बिल को लेकर पूर्व आईएएस अधिकारियों ने कहा- किसानों के लिए जीवन-अमृत सिद्ध होगा

पूर्व IAS अधिकारी डॉ. बोस की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि भारतीय कृषि प्रधान समाज को अपनी धीमी प्रगति के बंधनों से मुक्त करने के लिए संसद द्वारा पारित किए गए कृषि बिल को एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में चिन्हित किया जाएगा।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: September 28, 2020 19:51 IST
Statement of former public servants in support of farm Bill - India TV Hindi
Image Source : PTI Statement of former public servants in support of farm Bill 

नई दिल्ली। हाल ही में संसद के मानसून सत्र में पारित हुए कृषि बिल को लेकर कई पूर्व आईएएस अधिकारियों ने अपनी राय व्यक्त की है। कृषि बिल को लेकर सभी पूर्व अधिकारियों की ओर से भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (नाफेड) के पूर्व एमडी और पूर्व मुख्य सचिव डॉ. आनंद बोस ने एक पत्र जारी किया है। डॉ. बोस की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि भारतीय कृषि प्रधान समाज को अपनी धीमी प्रगति के बंधनों से मुक्त करने के लिए संसद द्वारा पारित किए गए कृषि बिल को एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में चिन्हित किया जाएगा। भारत सरकार का यह दूरदर्शी प्रयास निश्चित रूप से कृषि क्षेत्र में क्रांति लागाएगा एवं किसानों के लिए जीवन-अमृत सिद्ध होगा। इस ऐतिहासिक बिल के फलस्वरूप भारतीय कृषि व्यवसाय को अपने बाधा-कारको से अंतत: छुटकारा मिलेगा। 

पूर्व आईएएस अधिकारियों की ओर से जारी पत्र में भारत के ग्रामीण किसानों के लिए कृषि बिल में दी गई सुविधाओं के बारे में भी बताया गया है। कहा गया है- न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पहले की तरह किसानों के पक्ष में ही रहेगा। किसान अपने उत्पाद बिना किसी अंतर्राज्यीय या अंत: राज्यीय रोक-टोक के कहीं भी स्वेच्छा से बेच सकते हैं। किसानों को दलालों एवं उनके शोषण से मुक्ति मिलेगी। किसान स्वेच्चा से किसी भा संभावित खरीरदार या निर्यातक से अनुबंध कर सकते हैं। आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत कृषि उत्पादों के भंडारण में रियायत दी जाएगी। 

पत्र में आगे कहा गया है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पहले की तरह ही जारी रहेगा। इस विषय पर केंद्रीय कृषि मंत्री के सतत स्पष्टीकरण तथा प्रधानमंत्री जी के आस्वासन के बाद भी कुछ घटक बहु राष्ट्रीय उद्देश्यों के तहत यह भ्रम फैला रहे हैं कि यह बिल किसान हितों के विरुद्ध है। जबकि जहां कहीं भी किसानों का शोषण हो रहा है, उसका मूल कारण कमजोर विपणन व्यवस्था है, जिससे किसानों का लाभ बिचौलिए छीन लेते हैं। यदि संपूर्ण भारत को किसानों के लिए एक एकीकृत बाजार के रूप में विकसित किया जाए और निजी उद्योग सीधे उनसे माल खरीदें तो किसानों को बिल्कुल भी हानि का सामना नहीं करना पड़ेगा। भारत सरकार का यह एतिहासिक कृषि बिल सरकार द्वारा ही पूर्व में घोषित किए गए आर्थिक विकास पैकेज के साथ भारतीय कृषि समाज के पुनरुत्थान में एक अभूतपूर्व निर्णय सिद्ध होगा, जो अपने साथ प्रत्यक्ष प्रहति भी लाएगा। इससे किनानों के लिए एक स्वतंत्र वातावरण का निर्माण तो होगा ही साथ में एक व्यावसायिक भय से मुक्त उद्यमशीलता का भी विकास होगा। यह ध्यान देने का विषय है कि 'किसानों को दलालों से मुक्ति एवं कहीं भी माल बेचने की स्वतंत्रता से किसानों का सशक्तिकरण' पूर्व में ही उन्हीं राजनैतिक दलों के घोषणापत्र का हिस्सा था, जो वर्तमान में इसका विरोध कर रहे हैं। 

हमारे लिए आवश्य है कि जो लोग समाज व राष्ट्र में इस तरह की भ्रांतियां फैला रहे हैं उनकी कड़ी निंदा की जाए। हाल ही में कुछ समय पहले ही, इसी तरह के कुछ परिपेक्ष्य सामने आए जहां कभी अल्पसंख्यकों में तो कभी छात्रों में झूठे एवं अवास्तविक तथ्यों को फैलाकर उन्हें उकसाया गया। यही प्रक्रिया अब किसानों के साथ दोहराई जा रही है। जिन किसानों ने बारत को अल्प खाद्य ग्रस्त से खाद्य अधिशेष अर्थव्यवस्था बनाया, जो भारत के अन्नदाता हैं, उनके जीवन में उन्नति एवं समृद्धि लाने के लिए भारत सरकार के इस प्रयास का हम पूर्ण रूप से समर्थन करते हैं। 

पूर्व आईएएस अधिकारियों ने कहा कि हम कुछ स्वार्थलिप्त दलों द्वारा इस प्रकास भारत के किसानों को गुमराह कने एवं बहकाने एवं एक राष्ट्रीय सू-प्रयोजन को गलत बताने के इस कुकृत्य की कड़ी निंदा करते हैं।  

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