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पॉक्सो कानून का प्रभावी क्रियान्वयन करें राज्य, जनप्रतिनिधि भी करें सहयोग: एनसीपीसीआर

पॉक्सो कानून में संशोधन से जुड़े विधेयक को संसद की मंजूरी मिलने की पृष्ठभूमि में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने कहा है कि राज्य इसके प्रभावी क्रियान्वयन की अपनी जिम्मेदारी निभाएं और साथ ही सभी जनप्रतिनिधियों को इसमें सहयोग करना चाहिए।

Written by: Bhasha
Published on: August 04, 2019 12:34 IST
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पॉक्सो कानून का प्रभावी क्रियान्वयन करें राज्य, जनप्रतिनिधि भी करें सहयोग: एनसीपीसीआर

नई दिल्ली: पॉक्सो कानून में संशोधन से जुड़े विधेयक को संसद की मंजूरी मिलने की पृष्ठभूमि में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने कहा है कि राज्य इसके प्रभावी क्रियान्वयन की अपनी जिम्मेदारी निभाएं और साथ ही सभी जनप्रतिनिधियों को इसमें सहयोग करना चाहिए। संसद ने गत बृहस्पतिवार को ‘लैंगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) संशोधन विधेयक, 2019’ को मंजूरी दी जिसमें चाइल्ड पोर्नोग्राफी को परिभाषित करने के अलावा बच्चों के खिलाफ जघन्य अपराध के मामलों में मृत्युदंड तक का भी प्रावधान किया गया है। 

एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने उम्मीद जताई कि इस संशोधन विधेयक के कानून बनने के बाद देश में बाल यौन उत्पीड़न विरोधी प्रयासों में काफी सफलता मिलेगी। उन्होंने कहा, '' पहली बार पॉक्सो कानून में इंजेक्शन के जरिये बच्चों को नशीले पदार्थ देने से जुड़े अपराध और चाइल्ड पोर्नोग्राफी अपराध को भी शामिल किया गया है। इनको लेकर बहुत सख्त प्रावधान किए गए हैं। सभी का प्रयास होना चाहिए कि इनका प्रभावी क्रियान्वयन हो।'' 

उन्होंने कहा, '' पहले इस कानून में जो पहलू अनछुए थे, उनको इसके दायरे में लाया गया। दूसरी तरफ, उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि देश भर में पॉक्सो अदालतें जल्दी स्थापित की जाएं। इस बार विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका साथ प्रयास कर रहे हैं। ऐसे में अच्छे परिणाम की उम्मीद है।'' संशोधित कानून के प्रभावी क्रियान्वयन की जरूरत पर जोर देते हुए कानूनगो ने कहा, ''इस कानून के क्रियान्वयन में पुलिस सबसे महत्वपूर्ण और प्राथमिक कड़ी है। ऐसे में हम चाहते हैं राज्य सरकारें शीघ्र और प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करें। '' 

उन्होंने कहा, ''सरकार और पुलिस के साथ ही समाज को बच्चों के खिलाफ अपराधों को लेकर सख्त होना पड़ेगा। पंचायत से लेकर संसद तक , सभी जनप्रतिनिधियों से हमारी अपील है कि वे इस कानून के प्रभावी क्रियान्वयन और बच्चों की सुरक्षा में सहयोग कर अपनी जिम्मेदारी निभाएं'' गौरतलब है कि संसद द्वारा पारित विधेयक के जरिये 2012 के पॉक्सो कानून में संशोधन किया गया है। सरकार का मानना है कि कानून में संशोधन के जरिए कड़े दंडात्‍मक प्रावधानों से बच्‍चों से जुड़े यौन अपराधों में कमी आने की संभावना है।

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