नई दिल्ली। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने किसान नेताओं और सरकार के बीच 4 जनवरी (सोमवार) को होने वाली बैठक से पहल मोदी सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है। साथ ही किसान नेताओं ने भी सोमवार (4 जनवरी) को सरकार के साथ होने वाली वार्ता से पहले आगे की रणनीति तैयार कर ली है। किसानों ने सरकार को अल्टीमेटम देते हुए कहा कि अगर 4 जनवरी की बातचीत में परिणाम संतोषजनक ना निकला तो 6 जनवरी को मार्च निकालेंगे और 6 जनवरी से 20 जनवरी के बीच पूरे देश में किसान जन जागृति अभियान चलाएंगे।
'सत्ता का अहंकार छोड़ तीनों कृषि कानून वापस ले सरकार'
सोनिया गांधी ने कहा है कि मोदी सरकार पर 'अहंकार' का आरोप लगाया है, उन्होंने कहा कि सरकार अब सत्ता के अपने अहंकार को दूर कर 'राजधर्म' का पालन करे और तीनों काले कृषि कानूनों को वापस ले। उन्होंने एक बयान में कहा, "मोदी सरकार के पास अभी भी समय है कि वह सत्ता के अहंकार से बाहर आकर किसानों के आंदोलन को खत्म करने के लिए तीनों नए केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस ले ले। यह 'राजधर्म' निभाना उन दिवंगत आत्माओं को सच्ची श्रद्धांजलि होगी, जिन्होंने विरोध प्रदर्शन के दौरान अपनी जान गवां दी।"
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50 से अधिक किसानों ने गंवाई अपनी जान
सोनिया गांधी ने दावा करते हुए कहा, "आजादी के बाद पहली बार एक अभिमानी सरकार सत्ता में आई है। यह किसानों के दर्द और पीड़ा को भी नहीं देख रही है, आम आदमी के बारे में तो भूल ही जाओ।" कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि विरोध प्रदर्शन करते हुए 50 से अधिक किसानों ने अपनी जान गंवाई है, जिनमें कुछ ने सरकार के आचरण के कारण आत्महत्या कर ली तो कई की जान ठंड में ठिठुरने से गई।
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'मोदी सरकार का मुख्य एजेंडा कुछ पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाना'
सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार का मुख्य एजेंडा कुछ पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाना है। लेकिन एक लोकतंत्र में, जो सरकार अपने लोगों की बात नहीं सुनती, वह लंबे समय तक नहीं चलती। सरकार को पता होना चाहिए कि लोकतंत्र का मतलब है किसानों और मजदूरों के हितों की रक्षा करना। वहीं ठंड, कोहरे और बारिश ने दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों, महिलाओं और बच्चों की परेशानी बढ़ा दी है।
पी चिदंबरम बोले- किसानों की इच्छा का ध्यान रखे सरकार
कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने एक ट्वीट में कहा, "जैसे ही दिल्ली बॉर्डर पर किसानों के आंदोलन ने 38वें दिन में प्रवेश किया, एक और किसान ने अपनी जान गंवा दी। मैं किसानों के संकल्प को सलाम करता हूं। सरकार को कृषि कानूनों को लंबित रखते हुए पुनर्विचार के लिए सहमत होना चाहिए। किसी भी नए कानून में किसान समुदाय की जरूरतों और इच्छाओं को ध्यान में रखा जाना चाहिए।"
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ठंड और बारिश से बढ़ी आंदोलनकारी किसानों की मुसीबतें
ठंड और बारिश के बीच टिकरी बॉर्डर पर आज 39वें दिन भी कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है। एक प्रदर्शनकारी ने कहा, "ठंड से बचने के लिए आग का सहारा ले रहे हैं। जब तक कानून वापस नहीं लिए जाएंगे हम वापस नहीं जाएंगे। आज सुबह बारिश की वजह से प्रदर्शनकारी किसानों के टेंट में पानी भर गया। फिलहाल अब किसानों ने अपने टेंट से पानी निकाल दिया है। एक प्रदर्शनकारी किसान ने कहा, 'बारिश हमारी फसलों के लिए अच्छी है। जब हम अपने खेतों में काम करते हैं तो हम भीग जाते हैं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम यहां बारिश का सामना कर रहे हैं।'
4 जनवरी को शर्तें नहीं मानी तो 6 जनवरी को होगा मार्च
किसानों ने कहा कि अगर 4 जनवरी की बातचीत में परिणाम संतोषजनक ना निकला तो 6 जनवरी को मार्च होगा। वही मार्च जो 30 दिसंबर को रद्द हुआ था। राजस्थान के शाहजहांपुर बॉर्डर से किसान अगले हफ्ते आगे बढ़ेंगे। 6 जनवरी से 20 जनवरी के बीच पूरे देश में किसान जन जागृति अभियान चलाएंगे। 23 जनवरी को नेता सुभाषचंद्र बोस की जयंती को किसान विशेष चेतना दिवस का आयोजन होगा। BJP नेताओं के खिलाफ देशभर में पार्टी छोड़ो अभियान चलाएंगे। पंजाब और हरियाणा के टोल आगे भी फ्री रहेंगे।
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26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च करेंगे किसान
किसान नेता दर्शन पाल ने बताया कि 4 जनवरी (सोमवार) को किसान संगठनों के नेताओं और सरकार से बातचीत होनी है। अगर हमारे पक्ष में बात नहीं बनी तो 6 जनवरी को कुंडली, मानेसर और पलवल हाईव पर ट्रैक्टर मार्च होगा। इसके 2-3 दिन के भीतर शाहजहांपुर मोर्चे को आगे लाएंगे। इसके बाद एक पखवाड़े तक देशभर में अलग-अलग कार्यक्रम के तहत प्रदर्शन करेंगे। 18 जनवरी को महिला किसान दिवस के रूप में मनाएंगे। 23 जनवरी को सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिन के मौके पर सभी राज्यों में राजभवनों पर मार्च करेंगे, 26 जनवरी को किसान ट्रैक्टर मार्च करेंगे। बता दें कि, मामले में 5 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है।
(इनपुट-IANS)