पटना में स्मार्टफोन की लत स्कूल और कॉलेजों के छात्रों को बीमारी की जद में धकेल रही है। डॉक्टरों का मानना है कि स्मार्टफोन की लत से न केवल युवाओं में व्यवहार संबंधी गंभीर मनोविकृति विकसित हो रही हैं, बल्कि आंखों और हड्डियों से संबंधी बीमारियां भी हो रही हैं। अस्पतालों में पहुंचने वाले ऐसे मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है।
साल 2017 में आइजीआइएमएस में स्मार्टफोन की लत के कारण विभिन्न तरह की परेशानियों से ग्रस्त 1080 मरीज पहुंचे थे, वहीं इस साल जनवरी से 20 दिसंबर तक करीब 2160 ऐसे मरीज आए हैं। इनमें सबसे ज्यादा छात्रों का इलाज मनोचिकित्सा विभाग, नेत्र रोग विभाग और हड्डियों से संबंधित विभाग में किया गया है। इसके अलावा पीएमसीएच और एम्स की बात करें तो यहां भी ऐसे मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।
डॉक्टरों की मानें तो व्हाट्सएप और टिक-टॉक के चलन के बाद मैसेज पढ़ने और वीडियो बनाने/देखने के लिए सिर आगे की ओर झुकाने से गर्दन पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। पीएमसीएच के डॉ सुभाष कुमार झा ने बताया कि गर्दन और रीढ़ की हड्डी पर पड़ने वाला ये दबाव 4 से 27 किलो तक होता है। बता दें कि स्मार्टफोन की आदत से पीड़ित मरीजों में 50% बच्चे और युवा शामिल हैं।
क्या-क्या बीमारियां हो सकती हैं?
पैंटोन रिंगिंग: कभी-कभी व्यक्ति को ऐसा लगता है कि मोबाइल रिंग बज रहा है, जबकि बजता नहीं है।
नोमोफोबिया: करीब 50% लोगों को मोबाइल चोरी न हो जाये, यह भय बना रहता है।
रिंग एनजाइटी: 30% लोगों को 30 मिनट कोई भी रिंग नहीं बजने पर तनाव हो जाता है।
स्टिफ नेक: मोबाइल को लगातार हाथ में इस्तेमाल करने से गर्दन में दर्द हो जाता है।
चेहरे पर दुष्प्रभाव: चेहरे की त्वचा लटक जाती है. डबल चिकन की समस्या चेहरे पर हो जाती है।
बच्चों का रखें ख्याल
ऐसी स्थिति में बच्चों का ख्याल रखना बहुत जरूरी है। और, जरूरी है कि बच्चों को स्मार्टफोन की लत लगने से बचाया जाए। ऐसे कुछ माता-पिता को रायपुर में सम्मानित भी किया गया है। जिन्होंने बच्चों को स्मार्टफोन से दूर रखने के लिए खुद भी स्मार्टफोन नहीं रखा।