नई दिल्ली। प्राइवेट वेदर फॉरकास्ट एजेंसी स्काईमेट ने शनिवार को घोषणा की है कि दक्षिणपश्चिम मानसून अपने पूर्व निर्धारित समय से दो दिन पहले ही केरल पहुंच गया है। लेकिन भारत की आधिकारिक फॉरकास्टर आईएमडी ने कहा है कि अभी स्थिति उस अनुरूप नहीं है जिससे मानसून के पहुंचने की घोषणा की जा सके।
स्काईमेट वेदर के सीईओ जतिन सिंह ने कहा कि सभी स्थितियां जैसे बारिश, आउटवेव लॉन्गवेव रेडिएशन वैल्यू और हवा की रफ्तार ऐसी हैं जिसके आधार पर यह घोषणा की जा सकती है कि दक्षिण पश्चिम मानसून केरल पहुंच चुका है।
स्काईमेट ने ट्वीट कर कहा कि दक्षिण पश्चिम मानसून 2020 आखिरकार भारत की धरती पर पहुंच गया। मानसून अपने वास्तविक सामान्य तारीख से पहले ही पहुंच गया है। सभी स्थितियां जैसे बारिश, ओएलआर वैल्यू, विंड स्पीड सभी इसके अनुरूप है। अंतत: 4 माह तक चलने वाला उत्सव भारतीयों के लिए शुरू हो गया है। हैप्पी मानसून।
मानसून के केरल पहुंचने के साथ ही देश में चार माह लंबा चलने वाला बरसाती मौसम की शुरुआत हो जाती है। देश में जून से सितंबर के दौरान 75 प्रतिशत बारिश होती है।
स्काईमेट ने अनुमान जतया था कि मानसून इस बार केरल 28 मई को पहुंच जाएगा, उसने इसमें दो दिन की जल्दी या देरी होने का भी अनुमान जताया था। वहीं भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने कहा था कि मानूसन आने में देरी होगी और यह 5 जून को केरल पहुंचेगा लेकिन चार दिन बाद ही आईएमडी ने कहा कि मानूसन अपने निर्धारित समय 1 जून को ही पहुंचेगा।
हालांकि, आईएमडी ने इस हफ्ते की शुरुआत में कहा कि बंगाल की खाड़ी में एक चक्रवात बन रहा है जो मानसून की प्रगति में मदद करेगा और इस वजह से मानसून 1 जून को केरल पहुंच जाएगा। यह मानसून आने की सामान्य तारीख है।
आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय मोहपात्रा ने कहा कि अभी स्थिति वैसी नहीं हैं जिससे मानूसन के केरल पहुंचने की घोषणा की जाए। आईएमडी के मुताबिक, मानसून की घोषणा करने के लिए तीन प्रमुख परिस्थितियों का होना जरूरी है। पहला यह कि 10 मई के बाद 14 मौसक केंद्रों में से 60 प्रतिशत ने 2.5 मिलीमीटर बारिश दर्ज की हो या दो दिन लगातार बारिश हुई हो, इसके बाद दूसरे दिन मानसून के केरल पहुंचने की घोषणा की जाएगी। दूसरा है पच्छिमी हवा जिसके 600 हेक्टोपास्कल बना रहना चाहिए और तीसरा है आउटवेव लॉन्गवेव रेडिएशन 200 वॉट प्रति वर्ग मीटर से कम होना चाहिए।