तरनतारन: गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के आरोप में सिखों के एक पंथ के सदस्यों द्वारा पीट-पीटकर जान से मारे गए दलित खेतिहर मजदूर लखबीर सिंह के परिवार ने शनिवार को कहा कि वह ईश्वर से डरने वाले व्यक्ति थे, जो कभी भी पवित्र ग्रंथ की बेअदबी करने के बारे में सोच भी नहीं सकते थे। लखबीर के परिवार ने सच्चाई सामने लाने के लिए उच्चस्तरीय जांच की मांग की। लखबीर की पत्नी जसप्रीत कौर और 12, 11 तथा 8 साल की 3 बेटियां पवित्र शहर अमृतसर से करीब 50 किमी दूर गांव चीमा कलां में एक छोटे से कच्चे मकान में रहती हैं। उनके बेटे की 2 साल पहले मौत हो गई थी।
‘उनके बच्चों के भविष्य का क्या होगा?’
जब लखबीर जीवित थे तब परिवार मुश्किल से दिन में 2 वक्त के भोजन का प्रबंध कर पाता था और अपनी आजीविका के लिए गांव के खेतों में या तरनतारन जिले की अनाज मंडी में काम करता था। लखबीर की बहन राज कौर कहती हैं, 'अब उनके परिवार की देखभाल के लिए कौन आगे आएगा और उनके बच्चों के भविष्य का क्या होगा? कौन उनकी मदद करेगा?' लखबीर (35) का शव सिंघू बॉर्डर के पास पुलिस अवरोधक से बंधा मिला था, जहां किसान 3 केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं। लखबीर के शरीर का बायां हाथ कटा हुआ था और उनके शव पर धारदार हथियारों से घाव के 10 से अधिक निशान थे।
‘वह तो ईश्वर से डरने वाले व्यक्ति थे’
घटना के कुछ घंटे बाद, नीले वस्त्र पहने एक निहंग सिख सरबजीत सिंह ने दावा किया कि उसने गुरु ग्रंथ साहिब को 'अपवित्र' करने के लिए लखबीर को 'दंडित' किया था। पंजाब के गुरदासपुर जिले के विटवा के निवासी सरबजीत को बाद में पीट-पीटकर हत्या करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। उसके दावे पर सवाल उठाते हुए, जसप्रीत कौर और राज कौर ने कहा कि लखबीर सिंह के दिल में 'पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब के प्रति गहरा सम्मान था'। जसप्रीत कौर ने कहा, 'वह ईश्वर से डरने वाले व्यक्ति थे, जो कभी पवित्र पुस्तक को अपवित्र करने के बारे में सोच भी नहीं सकते थे। जब भी वह किसी गुरुद्वारे में जाते थे, तो वह अपने परिवार और समाज की भलाई के लिए प्रार्थना करते थे।'
‘उनके बुरे चरित्र की कोई रिपोर्ट नहीं थी’
पीड़ित परिवार ने कहा कि उनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं था और उनके बुरे चरित्र की कोई रिपोर्ट नहीं थी। परिवार ने सच्चाई सामने लाने के लिए पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच की मांग की। जसप्रीत और राज कौर ने कहा कि अगर एक पल के लिए भी मान लिया जाए कि लखबीर ने कुछ गलत किया है, तो जिन लोगों ने उनकी इतनी बर्बरता से हत्या की, उन्हें लखबीर को उनकी बेगुनाही साबित करने के लिए समय देना चाहिए था, या वे उन्हें पुलिस के हवाले कर सकते थे।
‘लखबीर कभी किसी राजनीतिक रैली में नहीं गए’
लखबीर की भाभी सिमरनजीत कौर और सास सविंदर कौर सहित उनके परिवार के सदस्यों ने मीडिया को बताया कि लखबीर और उनकी बहन राज कौर को एक सेवानिवृत्त सैन्यकर्मी हरनाम सिंह ने गोद लिया था, जो बिना किसी समस्या के साथ रह रहे थे। हालांकि हरनाम सिंह अब इस दुनिया में नहीं रहे। परिवार ने दावा किया कि लखबीर का किसी भी राजनीतिक संगठन से कोई संबंध नहीं था और वह कभी भी किसी राजनीतिक व्यक्ति के समर्थन में किसी राजनीतिक रैली में नहीं गए।
‘मेरा भाई तीन दिनों से उन लोगों के साथ रह रहा था’
लखबीर की बहन राज कौर ने कहा, ‘मेरे भाई के पास घर से निकलने वक्त केवल 50 रुपये थे और इतने पैसे सिंघू सीमा तक पहुंचने के लिए पर्याप्त नहीं थे, लेकिन हो सकता है कि वह किसी ट्रैक्टर ट्रॉली या ट्रक से लिफ्ट लेकर वहां पहुंचा हो। इसके अलावा, घटना से पहले मेरा भाई तीन दिनों से उन लोगों के साथ रह रहा था, जो लोग उसकी हत्या में संलिप्त हैं।’ यह पूछे जाने पर कि लखबीर सिंघू बॉर्डर क्यों गए थे, तो राज कौर ने कहा, 'हो सकता है कि किसी ने उसे मजदूरी के लिए अधिक पैसे की पेशकश की हो।'