लेह। सरकार ने सोमवार को घोषणा की कि सियाचिन क्षेत्र को अब पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार ने सियाचिन आधार शिविर से लेकर कुमार पोस्ट तक समूचे क्षेत्र को पर्यटन उद्देश्यों के लिए खोलने का निर्णय किया है।
‘लोग देख सकेंगे किस हालात में डटे हैं जवान’
उन्होंने कहा कि यह कदम इसलिए उठाया गया है, ताकि लोग देख सकें कि सेना के जवान और इंजीनियर अत्यंत प्रतिकूल मौसम और विषम क्षेत्र में किस तरह काम करते हैं। राजनाथ सिंह चीन से लगती भारत की सीमा से लगभग 45 किलोमीटर दूर श्योक नदी पर कर्नल चेवांग रिनचिन पुल के उद्घाटन अवसर पर पूर्वी लद्दाख में आयोजित एक समारोह को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा, ‘‘लद्दाख के सांसद ने अपने संबोधन में इस क्षेत्र को पर्यटन के लिए खोलने का उल्लेख किया था। और, मुझे यह बात साझा करने में खुशी हो रही है कि सरकार ने सियाचिन आधार शिविर से लेकर कुमार पोस्ट तक एक मार्ग (पर्यटन के लिए) खोलने का फैसला किया है।’’
आधार शिविर से लेकर कुमार पोस्ट तक जा सकेंगे पर्यटक
रक्षा मंत्री ने कहा कि इस कदम से लोग सेना के जवानों, इंजीनियरों और अन्य कर्मियों द्वारा किए जा रहे कार्य का अहसास कर पाएंगे। राजनाथ सिंह ने बाद में ट्वीट किया, ‘‘सियाचिन क्षेत्र अब पर्यटकों और पर्यटन के लिए खुल गया है। सियाचिन आधार शिविर से लेकर कुमार पोस्ट तक समूचा क्षेत्र पर्यटन उद्देश्यों के लिए खोल दिया गया है।’’
सबसे ऊंचा सैन्य क्षेत्र है सियाचीन
कारकोरम क्षेत्र में लगभग 20 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित सियाचिन ग्लेशियर विश्व में सबसे ऊंचा सैन्य क्षेत्र माना जाता है जहां सैनिकों को शीतदंश (अधिक ठंड से शरीर के सुन्न हो जाने) तथा तेज हवाओं का सामना करना पड़ता है। ग्लेशियर पर शीत ऋतु के दौरान हिमस्खलन और भूस्खलन की घटनाएं आम हैं तथा यहां तापमान शून्य से 60 डिग्री सेल्सियस नीचे तक चला जाता है।
गृह मंत्री ने किया महत्वपुर्ण पुल का उद्घाटन
रक्षा मंत्री ने पुल के उद्घाटन पर कहा कि इसके निर्माण में केवल स्टील और कंक्रीट ही नहीं लगा है, बल्कि इंजीनियरों तथा सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के अन्य कर्मियों का ‘‘पसीना और शौर्य’’ भी लगा है। राजनाथ सिंह ने कहा कि उन्होंने (जवानों और इंजीनियरों तथा अन्य कर्मियों) बेहद कठिन परिस्थितियों में काम किया है, लोगों को उनकी गाथाओं के बारे में जानना चाहिए। कर्नल चेवांग रिनचिन पुल सर्वाधिक ऊंचाई वाला स्थायी पुल है जो दुरबुक और दौलत बेग ओल्डी को आपस में जोड़ेगा तथा यात्रा समय को लगभग आधा कर देगा। इसकी लंबाई 1,400 फुट है।
सियाचीन में सेना ने 10 सालों में खोए 163 जवान
सूत्रों ने बताया कि भारतीय सेना ने क्षेत्र में काम करने वाले सैनिकों की कार्य स्थितियों को दिखाने के लिए सियाचिन को पर्यटकों के लिए खोलने का प्रस्ताव भेजा था और सरकार ने इसे अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार विश्व के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र में पिछले 10 साल में सेना ने अपने 163 कर्मियों को खोया है। भारत और पाकिस्तान ने सामरिक रूप से महत्वपूर्ण ग्लेशियर क्षेत्र में 1984 में सैनिकों की तैनाती शुरू की थी और तब तक यहां पर्वतारोहण अभियानों की मंजूरी थी।
पर्यावरण संबंधी मुद्दे चिंता का विषय
वर्ष 1984 में ‘ऑपरेशन मेघदूत’ के बाद ग्लेशियर भारत के नियंत्रण में आ गया था। उत्तरी कमान के पूर्व प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल बी एस जसवाल का हालांकि, मानना है कि पर्यावरण संबंधी मुद्दे चिंता का विषय होंगे। जसवाल ने कहा, ‘‘पर्यटन और अन्य गतिविधियों से कचरे में वृद्धि होगी। इससे ग्लेशियर को नुकसान होगा। सेना की मौजूदगी की वजह से, वहां पहले ही काफी अजैविक कचरा है और हर रोज कचरे में एक हजार किलोग्राम की वृद्धि हो रही है।’’
खुलेंगे राजस्व के द्वार
उन्होंने कहा कि इस कदम से हालांकि, स्थनीय लोगों तथा सरकार के लिए भी राजस्व के द्वार खुलेंगे। सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्रतिबंधित क्षेत्रों में पर्यटन के लिए सीमा रेखा खींचनी होगी। पूर्व सैन्य कमांडर ने कहा कि साथ ही इससे सेना में शामिल होने के लिए युवा प्रेरित होंगे।