श्रीनगर: जम्मू कश्मीर पुलिस ने आज कहा कि इस बात के पुख्ता प्रमाण हैं कि पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या की साजिश पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा ने रची थी और नावीद जट्ट समेत प्रतिबंधित संगठन के तीन सदस्यों ने योजना को अंजाम दिया। कश्मीर के पुलिस महानिरीक्षक एस पी पाणि ने कहा कि पाकिस्तान में रहने वाले एक श्रीनगर निवासी ने मारे गए पत्रकार के खिलाफ ऑनलाइन अभियान शुरू कर दिया। था। लश्कर के तीन आतंकवादियों जट्ट, मुजफ्फर अहमद और आजाद मलिक ने हत्या को अंजाम दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘घटना के बाद सार्वजनिक पटल पर आरोपियों के बारे में अफवाह थी। तीन संदिग्धों की तस्वीरें थीं, जिन्हें जारी किया गया। अब हमारे पास तीन लोगों आजाद मलिक, मुजफ्फर अहमद (दोनों दक्षिण कश्मीर निवासी) और नावीद जट्ट की पहचान की पुष्टि करने के लिए साक्ष्य हैं। ये तीनों अब कानूनन वांछित हैं।’’ चौथे आरोपी की पहचान सज्जाद गुल के तौर पर करते हुए पाणि ने कहा कि जांच दल उन्हें कानून के दायरे में लाने के लिए कदम उठाएगा।
उन्होंने कहा कि कई सोशल मीडिया अभियान चलाए गए। उसमें ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया गया जो कई बार धमकाने वाला था। उन्होंने कहा कि पांच से छह पोस्ट आए। पाणि ने कहा, ‘‘इसके अलावा एक फेसबुक (पेज) और एक ट्विटर हैंडल था। जांच में खुलासा हुआ है और हमारे पास ठोस सबूत हैं कि ये पाकिस्तान से किए गए हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘सेवा प्रदाताओं ने जो स्थान बताया वो पाकिस्तान के हैं और वे लश्कर-ए-तैयबा की साजिश का हिस्सा हैं।’’
पाणि ने कहा कि गुल को इससे पहले 2003 में दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था और बाद में श्रीनगर पुलिस ने आतंक से संबंधित अन्य मामले में 2016 में गिरफ्तार किया था। हालांकि, उसने कपटपूर्ण तरीके से पासपोर्ट हासिल कर लिया और पिछले साल देश से भाग गया। उन्होंने कहा कि अब तक की जांच से यह स्थापित हुआ है कि ‘आतंक का अपराध’ ‘‘ प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा’’ ने किया। इसकी साजिश पाकिस्तान में रची गई और तीनों आरोपियों ने उसे अंजाम दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए हम सक्षम अदालत से संपर्क करेंगे और आरोपियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट हासिल करेंगे। साथ ही लुक आउट नोटिस और जरूरत पड़ने पर इंटरपोल रेड (कॉर्नर) नोटिस जैसे सभी कदम उठाएंगे क्योंकि एक आरोपी पाकिस्तान में है। उसने हमारा देश छोड़ दिया।’’ पाणि ने कहा कि यह महत्वपूर्ण मामला है और जांच अधिकारी उनके पास जो भी सबूत है उसपर ध्यान केंद्रित करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसी स्थिति होगी जहां पारस्परिक कानूनी सहयोग संधि के जरिए साक्ष्य को अंतरित किया जाना है।’’
एक अन्य संदिग्ध जुबैर कयूम को 14 जून की घटना के दो दिन बाद गिरफ्तार किया गया था। आईजी ने कहा कि उसकी भूमिका की भी जांच की जा रही है। उन्होंने कहा, ‘‘ दो बातें हैं- उसके पास से पिस्तौल बरामद किया गया जो उसने अपराध स्थल से लिया था और दो मोबाइल फोन भी बरामद किए गए हैं। उसने अपने कपड़े और अन्य चीजें छिपाने की कोशिश की।’’