नई दिल्ली: जब से नागरिकता कानून पास हुआ तब से देश में बवाल मचा है। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देश के कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन हो रहा है। यहां पर सवाल उठता है कि हिंसा के पीछे किसकी साजिश है? जांच से जो पता चला है वो चौंकाने वाला है। सूत्रों के मुताबिक हिंसा, आगजनी, तोड़फोड़, धरने के पीछे पीएफआई का हाथ है। जांच में खुलासा हुआ है कि दंगा कराने के लिए करीब 120 करोड़ रुपये खर्च किए गए है। नागिरकता बिल के विरोध में जो तमाशा चल रहा है उसका खेल अब खुलने लगा है।
नागरिकता कानून के खिलाफ दंगों के पीछे की पूरी कहानी अब सामने आ गई है। पता चला है कि इस बवाल के पीछे एक ऐसा नेटर्वक है, जो प्रदर्शनकारियों तक डायरेक्ट पैसा पहुंचा रहा है। दिल्ली, लखनऊ, अलीगढ़, शामली, मेरठ, बुलंदशहर, हापुड़, बिजनौर, मुजरफ्फरनगर, कानपुर और रामपुर में जो हुआ था या फिर अभी जो देश भर में हो रहा है, उसके पीछे का विस्फोटक सच पुलिस की जांच रिपोर्ट से सामने आ गया है।
उत्तर प्रदेश में दंगा कराने में पीएफआई जिसका पूरा नाम है पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और पहचान कट्टरपंथी इस्लामी संगठन की है, के खिलाफ पुलिस को कई सबूत मिल गए हैं। अब तक की जांच में पीएफआई के 73 बैंक खातों का पता चला है, जिसमें 27 बैंक अकाउंट पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के नाम पर खोले गये। 9 बैंक खाते पीएफआई से जुड़े संगठन रिहैब इंडिया फाउंडेशन के हैं और इसी संगठन ने 17 अलग-अलग लोगों और संगठन के नाम पर 37 बैंक खाते खोल रखे हैं।
इन 73 बैंक खातों में हुए लेनदेन की जांच में बड़ा खुलासा हुआ। जांच एजेंसियों को चकमा देने के लिए 73 खातों में करीब 120 करोड़ रुपये जमा कराये गये, लेकिन मामूली रकम खातों में छोड़कर खातों को खाली कर दिया गया। 73 खातों में 120 करोड़ रुपये कैसे जमा हुए। अब इस खेल को समझिए। इस बात का पूरा ध्यान रखा गया कि जांच एजेंसियों की नजरों में ना आए और पैसा सही जगह पहुंच भी जाए।
4 दिसंबर 2019 को सीएबी संसद में पेश हुआ और इसके बाद पीएफआई से जुड़े 15 खातों में करोड़ों रुपए जमा होने लगे। पैसा कौन डाल रहा है, ये गुप्त रहे इसलिए एक बार में या तो 5000 डिपॉजिट हुआ या फिर 49000 तक। ज्यादातर कैश जमा हुआ। ऐसा लगता है कि पैसे जमा करने वालों को एक बार में 50 हजार से कम रुपए जमा करने के लिए ही हिदायत दी गई थी।
इसी तरह खातों से 2000 से 5000 रुपए की छोटी-छोटी रकम निकालने के लिए कहा गया था। दंगे से पहले और दंगे के दिन अलग-अलग शहरों में दो-दो हजार और पांच-पांच हजार रुपए बार-बार अलग-अलग लोगों ने इन खातों से निकाले। कभी 80 बार तो कभी 90 बार एक दिन में रकम निकाली गई।
पीएफआई के 15 बैंक खातों में लेन-देन की तारीखें भी हिंसा की तारीखों से मेल खा रही है। मतलब जिस दिन जहां हिंसा हुई उसके पहले पीएफआई के खातों से लाखों रुपये निकाले गए। देशभर में दंगा कराने के लिए पीएफआई की पिक्चर अब पूरी तरह क्लियर है। उत्तर प्रदेश सरकार ने पीएफआई पर बैन लगाने की सिफारिश केंद्र सरकार से कर दी है। बता दें कि पीएफआई पर कई बार आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप भी लग चुके हैं।