नई दिल्ली: तीन तलाक की कुप्रथा के खिलाफ शुरू की गई जंग को अंजाम तक पहुंचाने वाली शायरा बानो खुश हैं कि तीन तलाक को पेशा बना चुके पुरुषों के दिन अब लदने जा रहे हैं। वह कहती हैं कि पुरुषों की जो जमात इस विधेयक का विरोध कर रही है, वह मुस्लिम महिलाओं के सशक्त होने की राह में रोड़े अटका रही है। शायरा कहती हैं कि 'अभी हमारी मुहिम खत्म नहीं हुई है। तीन तलाक के बाद अब हलाला और बहुविवाह प्रथा को भी हाशिए तक पहुंचाना बाकी है।'
शायरा लोकसभा में मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक 2017 के पारित होने को मुस्लिम महिलाओं के लिए जड़ी-बूटी मानते हुए कहती हैं कि ऐसी सैकड़ों महिलाएं हैं, जो बरसों से अपने शौहरों की ज्यादतियां सह रही हैं। शायरा ने कहा, ‘मेरी भी एक बेटी है। खुशी इस बात की है कि उसे तीन तलाक पर कानून बन जाने के बाद उस यातना से गुजरना नहीं पड़ेगा, जिससे मैं गुजरी।’ वह कहती हैं कि लोकसभा में विधेयक के पारित होने के बाद उम्मीद है कि राज्यसभा में भी यह बिना किसी रोकटोक के पारित हो जाएगा।
कई सांसदों एवं नेताओं द्वारा इस विधेयक का विरोध करने के बारे में पूछने पर वह कहती हैं, ‘इसका विरोध पुरुषों की वही जमात कर रही है, जो महिलाओं को सशक्त होते नहीं देखना चाहती। हमारे इस्लाम में पुरुषों को बेतहाशा अधिकार दिए गए हैं, वे 4 शादियां कर सकते हैं, जब मन किया तलाक दे सकते हैं। हम महिलाओं के पास क्या है, हर वक्त हमारे ऊपर तीन तलाक की तलवार लटकी रहती है।’ उत्तराखंड की शायरा (38) कहती हैं, ‘हमारे पवित्र कुरान में कहीं भी फौरी तीन तलाक का जिक्र नहीं है। कई मुस्लिम देशों में तीन तलाक पर प्रतिबंध है।’
बानो कहती हैं, ‘मुस्लिम समाज में शौहर, बीवी की हर गलती पर तीन तलाक की धमकी देता है। मेरी शादी 2001 में हुई थी, लेकिन दो साल तक बच्चा नहीं हुआ तो पति और सास तीन तलाक की धमकी देने लगे। तीन तलाक पुरुषों द्वारा महिलाओं के शोषण का हथियार है, जब मन किया चला दिया। पति गुस्से में है तो तीन तलाक दे दिया, शराब पीकर आकर मारपीट करे तो तलाक दे दिया, किसी से अफेयर है तो तीन तलाक दे दिया। हम महिलाओं का तो कुछ अस्तित्व ही नहीं रह गया।’
विपक्ष के कई नेता तीन तलाक विधेयक में संशोधन की मांग कर रहे हैं। इन संशोधनों के बारे में पूछने पर शायरा कहती हैं, ‘संशोधन तो होते रहते हैं। पहली जरूरत है कि इस विधेयक को तुरंत पारित किया जाए। लोकसभा में पारित हो गया है तो जल्द ही राज्यसभा में भी पारित हो और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद कानून बने। तीन तलाक के लिए कानून बनना बहुत जरूरी है। संशोधन तो समय के साथ-साथ होते भी रहेंगे।’
वह कहती हैं कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित करने के बाद भी 2017 में तीन तलाक के 300 मामले सामने आए। कानून बनेगा तो लोगों में डर होगा। कानून के जरिए यह डर बनाना बहुत जरूरी है। शायरा इस विधेयक के तहत तीन तलाक देने वाले पुरुषों को अधिकतम तीन साल की सजा के प्रावधान से संतुष्ट हैं। वह कहती हैं, ‘तीन साल की सजा मामूली नहीं है। सजा के प्रावधान से पुरुषों में डर बना रहेगा तो इन मामलों में यकीनन कमी आएगी।’