नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के विद्यार्थी एवं संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) विरोधी कार्यकर्ता शरजील इमाम की याचिका पर सुनवाई बुधवार को अगले दो हफ्ते के लिए स्थगित कर दी। याचिका में इमाम पर कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने के लिए उनके खिलाफ राजद्रोह का आरोप लगाने वाली कई प्राथमिकियों को मिलाकर एक करने का अनुरोध किया गया है। न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर एस रेड्डी और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कहा कि वह दो हफ्ते बाद मामले को सुनेगी क्योंकि इमाम की तरफ से पेश हुए वकील ने मामले में कुछ अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल करने के लिए समय मांगा था।
शीर्ष अदालत ने 19 जून को कहा था कि वह पांच राज्यों का जवाब देखे बिना कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं कर सकती जहां इमाम के खिलाफ प्राथमिकियां दर्ज हैं। इससे पहले शीर्ष अदालत को सूचित किया गया था कि दिल्ली और उत्तर प्रदेश की सरकारों ने इमाम की याचिका के विरोध में अपने हलफनामे दायर कर दिए हैं लेकिन असम, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश द्वारा कोई जवाब दाखिल नहीं किया गया है। न्यायालय ने 26 मई को उत्तर प्रदेश, असम, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर से याचिका पर जवाब मांगा था और दिल्ली सरकार को इस मामले में अपना जवाब दाखिल करने का एक और मौका दिया था। शीर्ष अदालत ने इस याचिका पर दिल्ली सरकार से एक मई को जवाब मांगा था।
अपनी याचिका में इमाम ने अपने खिलाफ दर्ज सभी आपराधिक मामलों को राष्ट्रीय राजधानी में स्थानांतरित करने और एक ही एजेंसी द्वारा जांच कराने का अनुरोध किया था। इमाम के वकील ने इससे पहले शीर्ष अदालत को बताया था कि दिल्ली और उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में दिए गए दो भाषणों के सिलसिले में उनके खिलाफ अलग-अलग राज्यों में पांच प्राथमिकियां दर्ज की गई हैं। वकील ने बताया था कि इमाम के खिलाफ दिल्ली, उत्तर प्रदेश, असम, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश में प्राथमिकियां दर्ज की गईं थी और उसके खिलाफ राजद्रोह के आरोप में मामला दर्ज है। दिल्ली पुलिस ने इमाम पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया है। दिल्ली पुलिस ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया और अलीगढ़ में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने के लिए राजद्रोह के आरोप में 28 जनवरी को बिहार के जहानाबाद से इमाम को गिरफ्तार किया था।