नयी दिल्ली: दिल्ली की जहरीली हवा में पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण की हिस्सेदारी शुक्रवार के 44 प्रतिशत (इस मौसम में सबसे अधिक) से घटकर शनिवार को 17 फीसदी पर आ गई। यह जानकारी सरकार की वायु गुणवत्ता निगरानी इकाई ‘सफर’ के आंकड़ों से मिली है। हालांकि, दिल्ली की वायु गुणवत्ता अब भी ‘गंभीर’ श्रेणी में बनी हुई है। इसकी वजह हवा की मंद गति और प्रदूषकों के दूर होने की विपरीत परिस्थितियां हैं।
सफर की रिपोर्ट के मुताबिक, पराली जलाने की हिस्सेदारी कम होने और हवाओं की दिशा बदलने से रविवार को हवा की गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आने की उम्मीद है। रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘गत 24 घंटे में हरियाणा एवं पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में प्रभावी तरीके से कमी आई है और यह 31 अक्टूबर को सबसे अधिक 3,178 घटनाओं से कम होकर 268 पर आ गई है। ऊपरी हवाओं की गति उत्तर की ओर होने और पराली जलाने की घटनाओं में कमी आने की वजह से शनिवार को दिल्ली के पीएम 2.5 प्रदूषक में उल्लेखनीय कमी आई है और यह 17 फीसदी के स्तर पर पहुंच गया है।’’
सफर ने कहा, पश्चिमी विक्षोभ और जम्मू-कश्मीर के ऊपर बनी चक्रवाती परिस्थितियों का दिल्ली की वायु गुणवत्ता पर सकारात्मक असर पड़ेगा क्योंकि इससे हवाओं की गति बढ़ेगी और कुछ इलाकों में बारिश होगी जिससे प्रदूषकों में कमी आएगी।