मुंबई. महाराष्ट्र में मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के लेटर के बाद मुंबई से दिल्ली तक सियासी बवंडर मचा हुआ है। एनसीपी ने जहां कल देर रात यह स्पष्ट कर दिया कि अनिल देशमुख इस्तीफा नहीं देंगे, वहीं भाजपा ने आज संसद से लेकर सड़क तक उद्धव ठाकरे सरकार को घेरने की कोशिश की। वहीं दोपहर करीब एक बजे एनसीपी के मुखिया शरद पवार ने दिल्ली में मीडिया को ब्रीफ कर अनिल देशमुख का बचाव किया। उन्होंने कहा कि पहली नजर में मुझे लगा कि आरोप गंभीर हैं। फरवरी में वाजे से देशमुख की कोई मुलाकात नहीं हुआ।
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शरद पवार ने कहा कि अगर आप पूर्व पुलिस कमिश्नर का लेटर देखेंगे, उन्होंने उल्लेख किया कि फरवरी के मध्य में उन्हें कुछ अधिकारियों द्वारा सूचित किया गया था कि उन्हें गृह मंत्री से ऐसे निर्देश मिले हैं... फरवरी 6 से 15 तक अनिल देशमुख कोरोना के कारण अस्पताल में पीड़ित थे। यह स्पष्ट है कि जिस अवधि के समय में आरोपों की बात कही गई है, उस समय अनिल देशमुख एडमिट थे। 16 से 27 फरवरी तक वे होम क्वारंटीन थे।
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उन्होंने कहा कि कलतक यह मामला गंभीर लग रहा था, पहली नजर में मुझे लगा कि आरोप गंभीर हैं, बारीकी से देखने के बाद पता चला कि देशमुख का कोई रोल नहीं है। देशमुख के त्यागपत्र को लेकर जो मांग है उस मांग का कोई आधार नहीं है। शरद पवार ने कहा कि ATS की जांच सही दिशा में जा रही है, चिट्ठी के जरिए सिर्फ जांच से ध्यान भटकाने के लिए कोशिश की जा रही है।
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सरकार को बदनाम करने की कोशिश- नवाब मिलक
नवाब मलिक ने सोमवार को कहा कि महाराष्ट्र सरकार को बदनाम करने की ‘‘साजिश’’ रची गई है। उन्होंने मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह द्वारा लिखे गए उस पत्र के समय पर भी सवाल उठाए जिसमें पुलिस अधिकारी ने राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। राकांपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता मलिक ने यह भी कहा कि पार्टी ने यह फैसला किया है कि अभी देशमुख को इस्तीफा देने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘देशमुख की किस्मत पर फैसला जांच पूरी होने के बाद लिया जाएगा।’’