धर्मशाला: तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने अपने अनुयायियों, विशेष रूप से तिब्बतियों को भरोसा दिलाया है कि उनका स्वास्थ्य बहुत अच्छा है और वह अभी 20 साल से अधिक समय तक जीवित रहेंगे। 84 साल केदलाई लामा ने अपने संबोधन में कहा, ‘मैं उम्मीद करता हूं कि अगले 20 वर्षों तक उससे आगे तक मैं यहां हिस्सा लेता रहूंगा। मैं दक्षिण भारत के मठों के लोगों से अनुरोध करना चाहूंगा कि इसे एक वार्षिक आयोजन बनाएं।’ तिब्बती धर्मगुरु अगले महीने 85 साल के हो जाएंगे।
‘खुद से ज्यादा दूसरों की देखभाल करनी चाहिए’
दलाई लामा ने सलाह दी कि 'बोधिचित्त' समारोह को तिब्बती मठों में एक वार्षिक कार्यक्रम के रूप में मनाया जाए। दलाई लामा ने शुक्रवार को यहां अपने निवास पर मन की साधना के लिए एक वर्चुअल समारोह की अगुवाई की। इस विशेष समारोह के महत्व पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, ‘शून्यता की बुद्ध की शिक्षाओं की ध्वनि की समझ से उत्पन्न होने वाले एक करुणामय आचरण से ही हम अपने साथ दूसरों का भी भला कर सकते हैं। खुद की देखभाल करने से ज्यादा हमें दूसरों की देखभाल करनी चाहिए।’
चीन से जान बचाकर भारत आए थे दलाई लामा
उन्होंने कहा, ‘हम खुद पर ज्यादा ध्यान देते हैं, लेकिन हमें जरूरत के हिसाब से ध्यान देना चाहिए, पैसा और शक्ति से तो आप आकर्षित हो सकते हैं, लेकिन एक परोपकारी रवैया रखना अधिक प्रभावी है।’ दलाई लामा 1959 में किसी तरह चीन से बचकर अपनी मातृभूमि से निकल आए थे और उसके बाद से वह भारत में आत्म-निर्वासन में रह रहे हैं। तभी से तिब्बत पर चीन का कब्जा है और वह दलाई लामा को अपना दुश्मन मानता है।