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शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों ने कहा, केंद्र सरकार को कम से कम अब हमसे बात करनी चाहिए

शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों को दूसरे जगह पर जाने के लिए मनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से प्रदर्शनकारियों को थोड़ी निराशा हुई है, हालांकि उनमें से कई का मानना है कि अपनी असहमति को लेकर सरकार से बात करना ही अंतिम रास्ता है। 

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published : February 18, 2020 6:56 IST
शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों ने कहा, केंद्र सरकार को कम से कम अब हमसे बात करनी चाहिए
Image Source : PTI शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों ने कहा, केंद्र सरकार को कम से कम अब हमसे बात करनी चाहिए

नयी दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों से बात करने के लिए एक टीम बनाई है। इस टीम में सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट संजय हेगड़े और वकील साधना रामचंद्रन शामिल हैं। वजहत हबीबुल्लाह, इस दौरान उनकी मदद कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इन वकीलों से कहा है कि वो प्रदर्शनकारियों से बात करें और उन्हें धरना दूसरी जगह शिफ्ट करने के लिए कहें। अगर बातचीत से रास्ता नहीं निकलता है तो अदालत इस मामले को प्रशासन पर छोड़ देगा।

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वहीं दूसरी तरफ शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों को दूसरे जगह पर जाने के लिए मनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से प्रदर्शनकारियों को थोड़ी निराशा हुई है, हालांकि उनमें से कई का मानना है कि अपनी असहमति को लेकर सरकार से बात करना ही अंतिम रास्ता है। 

नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध में सैंकड़ों लोग, विशेषकर महिलाएं दिल्ली के शाहीन बाग में डेरा डाले हुए हैं, जिनके प्रदर्शनों की वजह से एक मुख्य मार्ग अवरुद्ध हो गया है जिसके कारण शहर में यातायात की समस्या पैदा हो गई है। 

महिला प्रदर्शनकारियों के एक वर्ग ने कहा कि उनके द्वारा लगाए गए तम्बू ने स्थल को न्याय और समानता के लिए युद्ध का मैदान के रूप में प्रतिरूपित किया। उन्होंने कहा कि वे वहां से जाने के विचार से विचलित नहीं हैं लेकिन वे पहले सीएए पर सरकार के साथ विस्तृत बातचीत करना चाहते हैं। 

बाटला हाउस का निवासी शाहीदा खान ने कहा, ‘‘हमने 15 दिसंबर को अपना विरोध प्रदर्शन शुरू किया जब जामिया मिलिया इस्लामिया में छात्रों को पुलिस द्वारा बुरी तरह से पीटा गया था। हमें स्थानांतरण से बहुत खुशी नहीं होगी लेकिन चूंकि यह अदालत का फैसला है, इसलिए हम इसे पूरे सम्मान के साथ स्वीकार करेंगे।’’

बता दें कि सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने तीखी टिप्पणी भी की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि लोकतंत्र में सबको अपनी बात कहने का हक है। सरकार के खिलाफ विरोध का भी हक है लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि लोगों को परेशान करके विरोध किया जाए। अगर हर कोई सड़क पर उतरने लगेगा तो क्या होगा। कोर्ट ने कहा कि अगर किसी की मांग जायज भी है तो भी वो रास्ता बंद नहीं कर सकता।

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