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कोरोना वायरस से बड़ा खतरा CAA, हम नहीं हटेंगे: शाहीन बाग की महिलाएं

शाहीन बाह में प्रदर्शन स्थल पर मौजूद महिलाओं के कहना है, हमें कोरोनावायरस और सीएए एवं एनआरसी दोनों से ही लड़ना है। इस लड़ाई में हमारे लिए कोरोना वायरस से ज्यादा खतरनाक एनआरसी और सीएए है...

Reported by: IANS
Published on: March 17, 2020 20:17 IST
Shaheen Bagh Protesters- India TV Hindi
Shaheen Bagh Protesters

नई दिल्ली: कोरोना वायरस के खतरे और दिल्ली सरकार द्वारा दी गई सलाह के बावजूद शाहीन बाग में मंगलवार को करीब 500 से अधिक महिलाएं धरनास्थल पर एक दूसरे से सटकर बैठी हुई नजर आईं। प्रदर्शन स्थल पर मौजूद इन महिलाओं का कहना है कि उनके स्वास्थ्य की जिम्मेदारी सरकार की है। खास बात यह रही कि प्रदर्शन स्थल पर न तो महिलाओं के लिए हाथ धोने की कोई व्यवस्था है न ही इस दौरान किसी ने अपना मुंह ढका है और न ही कोरोना वायरस से बचने का कोई और इंतजाम यहां किया गया है।

प्रदर्शन में मौजूद सोफिया ने कहा, "हमें कोरोना वायरस और सीएए एवं एनआरसी दोनों से ही लड़ना है। इस लड़ाई में हमारे लिए कोरोना वायरस से ज्यादा खतरनाक एनआरसी और सीएए है। इसलिए सीएए के खिलाफ हमारी यह लड़ाई लड़ाई जारी रहेगी। बीमार होने के डर से हम अपने आंदोलन को छोड़कर घर नहीं बैठ सकते।"

प्रदर्शन में मौजूद रुखसत ने प्रदर्शनकारी महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा, "दिल्ली सरकार ने दिल्ली में अलग-अलग स्थानों पर मोहल्ला क्लीनिक खोले हैं। सरकार को अगर हमारी इतनी ही चिंता है तो शाहीन बाग में भी धरनास्थल के पास एक मोहल्ला क्लीनिक खोल दे।"

कोरोनावायरस को लेकर दी जा रही चेतावनी के बावजूद यहां शाहीन बाग में मंगलवार को सैकड़ों प्रदर्शनकारी एक दूसरे से सटकर कर बैठे रहे। इस दौरान उन्होंने जमकर नारेबाजी भी की। प्रदर्शनकारियों ने बिना साबुन से हाथ धोए दोपहर का भोजन भी यही धरनास्थल पर किया।

54 वर्षीय नूरजहां ने कहा, "अगर सरकार को हमारी इतनी ही चिंता है तो क्यों नहीं कानून को वापस ले लेती है। अगर सीएए का कानून वापस हो जाए, तो हम आज ही इस सड़क को साफ करके अपने घरों को लौट जाएंगे, लेकिन कानून वापस न होने की शक्ल में हम यहां से नहीं हटेंगे, फिर बेशक हम लोगों को कोरोनावायरस का संक्रमण ही क्यों न हो जाए।"

प्रदर्शनकारी महिलाओं ने कहा, "हमें अपने आंदोलन के लिए सब कुर्बानियां मंजूर हैं। प्रदर्शन के दौरान हमने कई समस्याएं बर्दाश्त की हैं। हमने सर्दी सहन की, अब गर्मी आएगी, हम बर्दाश्त करेंगे। बारिश और सर्द रातों में भी हम यहां डटे रहें। कोरोना वायरस का खतरा भी हमें मंजूर है। तब तक यह लड़ाई मंजूर है, जब तक देश के हुक्मरान हमारी बात नहीं सुनते।"

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