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नक्सलियों के झांसे में आ गई एसटीएफ, 7 जवान शहीद, 12 घायल

रायपुर/नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ के धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र सुकमा जिले के दोरनापाल, तालमेटला के करीब पिडमेल के जंगली पहाड़ी क्षेत्र में शनिवार सुबह नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में विशेष कार्य बल (एसटीएफ) के सात जवान

IANS
Updated : April 12, 2015 12:42 IST

रायपुर/नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ के धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र सुकमा जिले के दोरनापाल, तालमेटला के करीब पिडमेल के जंगली पहाड़ी क्षेत्र में शनिवार सुबह नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में विशेष कार्य बल (एसटीएफ) के सात जवान शहीद हो गए और 12 घायल हो गए।

इस बीच केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि नक्सलवाद से लड़ाई में अपनी जान न्योछावर करने वाले बहादुर जवानों को मैं सलाम करता हूं और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं।

उन्होंने कहा कि इस घटना पर मुख्यमंत्री रमन सिंह से बात हुई है। घटनास्थल पर सीआरपीएफ के अतिरिक्त दस्ते भेजे गए हैं।

उधर, मुख्यमंत्री रमन सिंह ने पुलिस के आला अधिकारियों के बैठक कर सुरक्षा व्यवस्था कड़े करने के निर्देश दिए। सिंह ने अधिकारियों को इस वारदात के लिए जिम्मेदार नक्सलियों का तत्परता से पता लगाने और उन्हें जल्द से जल्द गिरफ्तार करने के निर्देश दिए।

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी नक्सल ऑपरेशन) आर.के. विज ने कहा, "एसटीएफ जवान तलाशी अभियान पर थे। इसी दौरान घने जंगल में 100 सशस्त्र नक्सलियों ने उन्हें घेर लिया।"

विज ने बताया, "करीब दो घंटे चली मुठभेड़ में एसटीएफ के सात बहादुर जवान शहीद हो गए। मुठभेड़ स्थल तक कोई सड़क संपर्क नहीं है और न ही संचार के साधन हैं।"

घटनास्थल राजधानी रायपुर से 450 किलोमीटर दूर है।

मुठभेड़ में घायल 12 जवानों को दो हेलीकाप्टरों के जरिये नक्सल प्रभावित बस्तर क्षेत्र के मुख्यालय जगदलपुर लाया गया है। इस क्षेत्र में 1980 के दशक से ही नक्सली हिंसा जारी है।

पुलिस मुख्यालय में मौजूद अधिकारियों ने कहा कि केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरफीएफ) का बड़ा दस्ता घटनास्थल के लिए रवाना किया गया है।

बताया जाता है कि नक्सलियों से पुलिस की मुठभेड़ सुकमा जिले के पोंटा क्षेत्र में हुई। एसटीएफ के ऑपरेशन के दौरान पोलमपल्ली पोस्ट पर यह मुठभेड़ हुई। यह क्षेत्र चिंतागुफा थाना के अंतर्गत आता है।

पोलमपल्ली के जंगलों में नक्सलियों ने बारूदी सुरंगें बिछाकर धमाका कर दिया। इसके बाद नक्सलियों ने जवानों पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसानी शुरू कर दी।

वहां फंसे जवानों व शहीदों के शवों को निकालने के लिए अतिरिक्त बल घटनास्थल पर भेजा गया है। मुठभेड़ वाली जगह पर बारिश हो रही है, जिस कारण जवानों को वहां पहुंचने में कठिनाई हो रही है। इलाके में पिछले दो-तीन दिनों से एसटीएफ का अभियान चल रहा था।

शहीद हुए जवानों में प्लाटून कमांडर शंकर राव, प्रधान आरक्षक रोहित सोढ़ी, प्रधान आरक्षक मनोज बघेल, आरक्षक मोहन वीके, आरक्षक राजकुमार मरकाम, आरक्षक किरण देशमुख और आरक्षक राजमन टेकाम शामिल हैं। एक अन्य जवान का नाम पता नहीं चल सका है।

वहीं घायलों में आरक्षक मडकाम केसा, आरक्षक संजय लकड़ा, आरक्षक रंजीत कुमार, अरविंद कुमार के साथ सहायक आरक्षक किसे देवा, बड्डी कन्ना, माडवी लुक्का, माडवी देवा, सरयम लावेना और सरयम मनोज शामिल हैं।

घटनास्थल पिडमेल सुकमा हाईवे से 20 किलोमीटर दूर जंगल में है। पिडमेल सुकमा जिले के ताड़मेटला के पास है, जहां 2010 में नक्सलियों ने 76 सीआरपीएफ जवानों को निशाना बनाया था।

सुरक्षा बल की कमजोर रणनीति पर उठे सवाल :

पोलमपल्ली, चिंतागुफा से शनिवार सुबह एसटीएफ की एक छोटी टुकड़ी तलाशी के लिए निकली थी। जब यह टुकड़ी लौट रही थी, तब पिडमेल के जंगली पहाड़ी क्षेत्र में नक्सलियों ने इन्हें घेर लिया। मुठभेड़ हालांकि डेढ़-दो घंटे चली, लेकिन तीन तरफ से घिरे होने के कारण 7 जवान मौके पर ही शहीद हो गए।

इस वारदात के बाद सुरक्षा बल की कमजोर रणनीति फिर चर्चा में है। सवाल यह उठ रहा है कि नक्सलियों के इस गढ़ में एसटीएफ की छोटी टुकड़ी तलाशी अभियान में कैसे गई, जबकि इसी क्षेत्र के पास ताड़मेटला में 2010 में सीआरपीफ के 76 जवान शहीद हो गए थे। वहीं पिछले दिसंबर महीने में इसी क्षेत्र में सीआरपीएफ के दो अधिकारियों सहित 13 लोगों को अंधाधुंध फायरिंग कर मौत के घाट उतार दिया था। 2007 से अभी तक कुछ मुठभेड़ों में 200 से अधिक जवानों की जान जा चुकी है। वैसे भी यह क्षेत्र नक्सलियों के पूरी तरह कब्जे में है। घटना स्थल राष्ट्रीय राजमार्ग से 20 किलोमीटर अंदर की तरफ तथा आंध्रप्रदेश की सीमा से लगा है।

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