किशनगढ़ग: गहलोत सरकार में सरकारी अस्पतालों की दूर्दशा और उसमे बदइंतजामी की तस्वीर लगातार सामने आ रही है। सरकारी अस्पतालों में बच्चों की मौत का मामला थमा नहीं है कि अजमेर के किशनगढ़ के अराई गांव के सरकारी अस्पताल में एक ऐसी तस्वीर सामने आई जिसनें गहलोत सरकार के नकारेपन को फिर से उजागर कर दिया। अजमेर के किशनगढ के अराई गांव के सामुहिक चिकित्सालय मे 13 महिलाओं की नसबंदी कराई गई लेकिन उसके बाद इन महिलाओं को ठिठुरती सर्दी मे जमीन पर ही लिटा दिया गया। अस्पताल मे नसबंदी कराने आई महिलाओं को ऑपरेशन के बाद टेंट हॉउस से लाए गए गद्दों पर ही लिटा दिया गया। टेन्ट हाऊस से लाये गये गद्दे बेहद ही गन्दे थे और गद्दों पर बिछाने के लिए चादर तक नहीं थे। ऐसे हालात मे संक्रमण का खतरा बहुत अधिक होता है।
बदइंतजामी के हालात ऐसे कि सरकारी अस्पताल मे इन महिलाओं को बेड तक मुहैया नहीं कराया गया। किशनगढ के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में महिलाओं की नसबंदी कराने का शिविर लगाया गया था। जिसमें इन महिलाओं को भर्ती कर नसबंदी की गयी। लेकिन उसके बाद इन महिलाओं को सामुहिक रुप से जमीन पर ही लिटा दिया गया। अस्पताल प्रशासन की असंवेदनहीनता ही हैं कि इस ठंड मे किसी ने ये तक नहीं सोचा कि जमीन पर महिलाओं को इस तरह लिटा देने से इंफेक्शन हो सकता है और महिला की तबियत बिगड़ सकती है।
स्वास्थ्य मंत्री के गृह जिले का है ये हाल
स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा अजमेर से ही चुनाव जीतकर आते है और अपने ही गृह जिले मे अस्पताल की इस तरह की दुर्दशा है तो राजस्थान मे स्वास्थ्य महकमे के क्या हाल होंगे। आप इसका अंदाजा लगा सकते है। किशनगढ के इस गांव के सरकारी अस्पताल में गन्दगी भी देखी गई। कमरे के हालात इस कदर कि संक्रमण फैलने का खतरा हर कदम पर बना रहता है। ऐसे मे सवाल सरकारी तंत्र पर उठता है कि आखिर कब सुधरेंगे हालात।