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'लैंगिक हिंसा से निपटने के लिए समाज को संवेदनशील बनाने की जरूरत'

लैंगिक हिंसा के शिकार लोगों की पहुंच न्याय तक सुलभ करने के बारे में उन्होंने कहा, "महिला के पास सबसे मजबूत हथियारों में से एक सोशल मीडिया है, अगर हमे कार्यस्थल पर या घर या सड़कों पर किसी समस्या का सामना करना पड़ता है तो हम हमेशा सोशल मीडिया का सहारा ले सकते हैं।"

Reported by: IANS
Published on: June 30, 2018 14:37 IST
'लैंगिक हिंसा से निपटने के लिए समाज को संवेदनशील बनाने की जरूरत'- India TV Hindi
'लैंगिक हिंसा से निपटने के लिए समाज को संवेदनशील बनाने की जरूरत'

कोलकाता: कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के एक पैनल ने कहा है कि लैंगिक हिंसा से निपटने के लिए कानूनों को सख्त बनाने और कठोर सजा निर्धारित करने के बजाय समाज को संवेदनशील बनाने की जरूरत है। महिला न्यायाधीश मौशुमी भट्टाचार्य ने कहा,"चेतना व जागरूकता के मामले में एकमात्र रास्ता एक जनांदोलन है, एक आंदोलन जहां न केवल विधायिका, अदालत बल्कि आमतौर पर लोग भी इस मुद्दे को आगे बढ़ाने के लिए संवेदनशील हों।"

उन्होंने शुक्रवार को अमेरिकी वाणिज्य दूतावास द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में यह टिप्पणी की।

लैंगिक हिंसा के शिकार लोगों की पहुंच न्याय तक सुलभ करने के बारे में उन्होंने कहा, "महिला के पास सबसे मजबूत हथियारों में से एक सोशल मीडिया है, अगर हमे कार्यस्थल पर या घर या सड़कों पर किसी समस्या का सामना करना पड़ता है तो हम हमेशा सोशल मीडिया का सहारा ले सकते हैं।"

मौशुमी के अनुसार, ज्यादातर महिलाओं को उन कानूनों के बारे में नहीं पता है जो उनके अधिकारों की रक्षा कर सकते हैं। साथ ही, वे इस बात से अनजान हैं कि किससे संपर्क करना चाहिए, या सहायता के लिए किस एजेंसी के पास जाना चाहिए।

लिंग आधारित हिंसा के विभिन्न रूपों के बारे में बोलते हुए न्यायमूर्ति सब्यसाची भट्टाचार्य ने कहा, "हिंसा हिमशैल की नोक है। हिंसा की उत्पत्ति विशेष रूप से लैंगिक हिंसा समाज की शक्ति संरचना और पितृसत्तात्मक समाज की निशानी के तौर पर हुई है।"

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