नई दिल्ली: राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद विवाद पर फाइनल फैसले की तारीख जैसे-जैसे करीब आ रही है वैसे-वैसे अयोध्या में आशंकाएं और तनाव बढ़ती जा रही है। ऐसे में यहां के लोग अपनी ओर से तैयारियां पूरी करने में लगे हैं। कुछ लोगों ने तो खाने-पीने और घर की जरूरत का अन्य सामान जमा करना शुरू कर दिया है। वहीं कुछ महिलाओं और बच्चों को अपनी ओर से सुरक्षित स्थानों पर भेजने में लगे हैं। दूसरी ओर, प्रशासन पूरी तरह अलर्ट है और वह पूरे अयोध्या में सुरक्षा और शांति बनाए रखने में कोई कसर छोड़ना नहीं चाहता।
सोशल मीडिया और शरारती तत्वों पर पैनी नजर रखने के लिए यूपी डीजीपी मुख्यालय पर आईजी साइबर क्राइम की निगरानी में टीम का गठन किया गया है। राज्यस्तरीय टीम में 12 से 14 सब इंस्पेक्टर को रखा गया है। ये फेक आईडी बनाकर भड़काऊ मैसेज भेजने वालों की पहचान करेंगे और पुलिस आईपी एड्रेस के जरिए ऐसे लोगों तक पहुंचेगी। 20 दिनों में सोशल मीडिया पर उन्माद फैलाने के आरोप में 72 लोगों को जेल भेजा जा चुका है।
सोशल मीडिया पर विवादित पोस्ट करने वालों को डिजिटल वॉलंटियर चेतावनी देंगे। उसके बावजूद गड़बड़ी करने पर कार्रवाई की जाएगी। किसी भी अप्रिय घटना से निपटने की तैयारी सरकार और प्रशासन ने कर ली है। उत्तर प्रदेश में हाईअलर्ट जारी कर दिया गया है। पुलिस-प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियां बेहद सतर्क हैं।
संवेदनशील 34 जिलों के पुलिस प्रमुखों को निर्देश जारी किे गए हैं। मेरठ, आगरा, अलीगढ़, रामपुर, बरेली, फिरोजाबाद, कानपुर, गोंडा, लखनऊ, शाहजहांपुर, शामली, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर और आजमगढ़ इनमें शामिल हैं। खबर ये भी है कि आतंकी अयोध्या में भगवा कपड़े पहन कर घुस सकते हैं जिससे असली भक्तों के साथ घुलने-मिलने में इन्हें आसानी हो।
इस खुफिया सूचना के बाद पुलिस ने होटल, धर्मशाला, बस अड्डे और रेलवे स्टेशनों पर चौकसी बढ़ा दी है। उधर कल जमायत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सबको मानने और शांति बनाए रखने की अपील की। संघ से जुड़े कृष्ण गोपाल, रामलाल और इंद्रेश कुमार ने भी इंडिया इस्लामिक सेंटर के पदाधिकारियों के साथ बैठक की और ये अपील की गई कि राममंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला आए उसे स्वीकार करें। फैसले को हार या जीत की तरह नहीं लेना है।
हालांकि चिंता का माहौल अब भी कायम है। अक्टूबर में मुस्लिम समुदाय ने अपनी चिंताओं पर चर्चा करने के लिए विवाद में एक अन्य पक्षकार हाजी महबूब के घर एक बैठक की। इसमें बात हुई कि जब 2010 में हाईकोर्ट का फैसला आया था तब सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम थे। अगर इस बार भी वैसे ही बंदोबस्त हों तो सब ठीक रहेगा लेकिन लोगों के बीच फिर भी डर है। कुछ अभी तक 1992 को भूले नहीं हैं।