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वैज्ञानिकों की सबसे डरावनी चेतावनी, 2018 में भूकंप से मचेगी तबाही

हर भूकंप के बाद जो तबाही मचती है उसे देखकर भूकंप का नाम सुनते की लोग खौफज़दा हो जाते हैं लेकिन सबकुछ तबाह कर देने वाले ऐसे ही महाभूकंप को लेकर जो चेतावनी अब जारी कि जा रही है उससे पूरी दुनिया में खलबली मच गई है।

Written by: India TV News Desk
Updated on: January 31, 2018 13:10 IST
earthquake- India TV Hindi
earthquake

नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत में भूकंप के झटके मससूस किए गए। भूकंप की तीव्रता 6.1 है और हिंदुकुश रीजन में भूकंप का केंद्र बताया जा रहा है। दिल्ली में 10 से 20 सेकेंड तक महसूस किए गए झटके। जम्मू और कश्मीर के कई इलाकों में भूकंप के झटके महसूस किए गए। महीना बदलेगा और भूकंप आएगा। ये बात हम किसी को डराने के लिए नहीं कह रहे हैं बल्कि ये दावा उस रिसर्च में किया गया है जिसे अमेरिका की दो बड़ी यूनिवर्सिटीज के 2 प्रोफेसर्स ने किया है। उन वैज्ञानिकों के मुताबिक 2018 में कई बड़े भूकंप के झटके आ सकते हैं। वो जलजला इतना तेज़ होगा कि बड़ी तबाही मच सकती है। रिसर्च के मुताबिक आने वाले महाभूकंप का अलर्ट धरती ने भेजना शुरु भी कर दिया है। बताया जा रहा है कि पिछले 4 साल से हर दिन पृथ्वी की रफ्तार कम हो रही है और यही आने वाले साल में दुनिया के कई देशों में बड़े भूकंप की वजह बन सकती है जिसमें हिंदुस्तान भी शामिल है।

हर भूकंप के बाद जो तबाही मचती है उसे देखकर भूकंप का नाम सुनते की लोग खौफज़दा हो जाते हैं लेकिन सबकुछ तबाह कर देने वाले ऐसे ही महाभूकंप को लेकर जो चेतावनी अब जारी कि जा रही है उससे पूरी दुनिया में खलबली मच गई है। महाभूकंप को लेकर जो दावा किया जा रहा है उसके मुताबिक

  • 2018 में अब तक के सबसे बड़े भूकंप आ सकते हैं
  • भूकंप की तीव्रता 7.5 मैग्नीट्यूड से ज्यादा हो सकती है
  • महाभूकंप दुनिया के किसी भी हिस्से में आ सकता है
  • हिंदुस्तान के कई इलाकों पर भी बड़े भूकंप का खतरा
  • पृथ्वी के घूमने की रफ्तार कम होने से भूकंप का खतरा

मोंटाना यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का दावा है कि पृथ्वी के घूमने की स्पीड हर रोज़ कुछ मिलीसेकेंड्स में घट रही है और यही सेकेंड्स धरती के अंदर पैदा हो रही एनर्जी को बाहर आने में बहुत बड़ी मदद कर सकते हैं और नतीजा एक विनाशकारी भूकंप के तौर पर सामने आ सकता है। भू-वैज्ञानिक जो दावा कर रहे हैं उसे सुनकर दिल दहल जाता है क्योंकि अगर 2018 में भूकंप आया और उसकी तीव्रता 7.5 मैग्नूीट्यूड से ज्यादा हुई तो ऐसी तबाही मचेगी जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है।

अगर कहीं भूकंप का एपीसेंटर समंदर के अंदर हुआ तो सुनामी भी आ सकती है। यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो के रोजर बिल्हम और यूनिवर्सिटी ऑफ मोंटाना की रेबेका बेंडिक ने भूकंप के बारे में रिसर्च किया हालांकि इस रिसर्च में ये नहीं बताया गया कि वो कौन से इलाके हैं जहां भूकंप का सबसे ज्यादा खतरा है लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि जब पृथ्वी की रफ्तार में फर्क आता है तो दिन छोटे या बड़े होने लगते हैं। इसका सबसे ज्यादा असर भूमध्य रेखा यानी इक्वेटर के आसपास वाले इलाकों में देखा जाता है।

भूमध्य जैसा की नाम से पता चलता है ये रेखा पृथ्वी को दो बराबर हिस्सों में बांटती है। भूमध्य रेखा दुनिया के 13 देशों से गुजरती है जिसमें इक्वाडोर, कोलंबिया, ब्राजील, रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो, केन्या, मालद्वीव्स और इंडोनेशिया जैसे देश शामिल हैं। यानी अगर वैज्ञानिकों की बात सच निकलती है तो भूकंप का खतरा सबसे ज्यादा इन्हीं देशों पर मंडरा रहा है। हालांकि भारतीय भू-वैज्ञानिक ये भी दावा कर रहे हैं कि खतरा हिंदुस्तान के इलाकों को भी है। महाभूकंप को लेकर अमेरिकी वैज्ञानिकों ने अपने इस दावे का एक और आधार बताया है। उनके मुताबिक साल 1900 के बाद आए ऐसे भूकंप की स्टडी की गई जो 7 मैग्नीट्यूड से ज्यादा थे तो हैरान करने वाला सच सामने आया।

 

  • पिछली सदी में पांच बार 7 मैग्नीट्यूड से ज्यादा के भूकंप आए
  • हर बार भूकंप का संबंध पृथ्वी घूमने की रफ्तार से जुड़ा मिला
  • पृथ्वी के किनारों पर छोटे बदलाव भी भूकंप से जुड़े हो सकते हैं
  • इसी रिसर्च पर वैज्ञानिक 2018 में बड़े भूकंप की बात कर रहे हैं

दुनिया के किन देशों पर खतरा ज्यादा है, इसका सिर्फ अनुमान लगाया जा सकता है लेकिन वैज्ञानिकों का दावा है कि हिमालय के नीचे हलचल तेज़ है जो किसी भी दिन बड़े भूकंप की वजह बन सकती है। दरअसल हिमालय का इलाका दुनिया का सबसे ज्यादा भूकंप आशंकित इलाकों में एक माना जाता है। भूकंप आने की वजह है धरती के नीचे मौजूद टेक्टोनिक प्लेट्स। ये प्लेट्स धरती के अंदर ही अंदर खिसकती रहती हैं। हिमालयी क्षेत्र में भूकंप दो प्लेट्स की वजह से आता है। ये हैं इंडियन प्लेट्स और यूरोएशियन प्लेट्स।

यूरोएशियन प्लेट्स यूरोप और एशिया के एक बड़े हिस्से के अंदर है जबकि इंडियन प्लेट्स हिमालय और उसकी तराई के नीचे है। पिछले कुछ सालों से यूरेशियन प्लेट्स ज्यादा सक्रिय हो गई हैं। इससे यूरेशियन प्लेट्स इंडियन प्लेट्स से टकराती हैं और जब दोनों प्लेट्स आपस में टकराती हैं तो भूकंप आता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक अगर हिमालय के नीचे हलचल बढ़ी और भूकंप आया तो सबसे ज्यादा खतरा नार्थ वेस्ट हिमालय, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, बिहार और नेपाल के साथ साथ चीन में भी भूकंप की आशंका है।

भूकंप जिस तरह की तबाही मचाता है, जिस तरह से चंद सेकंड में सबकुछ खत्म कर देता है, ऐसे में अगर वक्त रहते उसकी आहट मिल जाए तो जानमाल को बचाया जा सकता है लेकिन आने वाले साल के लिए जिस तरह की चेतावनी वैज्ञानिक दे रहे हैं वो बेहद डरावनी है और लोग चाहते हैं कि वो कभी सच न हो।

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