नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता शिबू सोरेन को अपने निजी सचिव शशि नाथ झा की 1994 में हत्या के मामले में बरी करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्णय को बरकरार रखा है। न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति आर एफ नरिमन की पीठ ने उच्च न्यायालय के 22 अगस्त , 2007 के फैसले में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया। उच्च न्यायलय ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री सोरेन को इस हत्याकांड में दोषी ठहराने का निचली अदालत का फैसला निरस्त कर दिया था। (इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने कहा, संसद सदस्य के रूप में ख्वाजा आसिफ अयोग्य )
केन्द्रीय जांच ब्यूरो और झा के परिवार के सदस्यों ने उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा था कि जांच एजेन्सी इस आदिवासी नेता के खिलाफ साक्ष्य जुटाने में बुरी तरह विफल रही है। उच्च न्यायालय ने इस मामले में चार अन्य व्यक्तियों नंद किशोर मेहता , शैलेन्द्र भट्टाचार्य , पशुपति नाथ मेहता और अजय कुमार मेहता को भी इसी आधार पर सारे आरोपों से बरी कर दिया था।
दिल्ली की एक अदालत ने 28 नवंबर , 2006 को शशि नाथ झा के अपहरण और हत्या के जुर्म में शिबू सोरेन और चार अन्य को दोषी ठहराया था। शशि नाथ झा 22 मई , 1994 को दक्षिण दिल्ली के धौला कुंआ इलाके से लापता हो गया था। उसे अगले दिन रांची में सोरेन के भरोसेमंद लोगों के साथ कथित रूप से रांची में देखा गया था।