Monday, December 23, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. भारत
  3. राष्ट्रीय
  4. कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को फैसला सुनाएगा

कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को फैसला सुनाएगा

कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को फैसला सुनाएगा। उच्चतम न्यायालय ने कड़ाके की सर्दी में दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे किसानों की स्थिति पर चिंता जताते हुये सोमवार को आशंका व्यक्त की कि कृषि कानूनों के खिलाफ यह आन्दोलन अगर ज्यादा लंबा चला तो यह हिंसक हो सकता है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated : January 11, 2021 23:31 IST
कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को फैसला सुनाएगा
Image Source : PTI कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को फैसला सुनाएगा

नई दिल्ली: कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को फैसला सुनाएगा। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने सोमवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान संकेत दिया था कि वह कृषि कानूनों और किसानों के आन्दोलन से संबंधित मुद्दों पर अलग अलग हिस्सों में आदेश पारित कर सकती है। इस संबंध में बाद में न्यायालय की वेबसाइट पर यह सूचना अपलोड की गई है।

उच्चतम न्यायालय ने कड़ाके की सर्दी में दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे किसानों की स्थिति पर चिंता जताते हुये सोमवार को आशंका व्यक्त की कि कृषि कानूनों के खिलाफ यह आन्दोलन अगर ज्यादा लंबा चला तो यह हिंसक हो सकता है और इसमें जान माल का नुकसान हो सकता है। 

न्यायालय ने कहा, ‘‘हम नहीं चाहते कि हमारे हाथों पर किसी का खून लगे।’’ साथ ही प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे ने सर्दी और कोविड-19 महामारी के मद्देनजर कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलनरत वृद्ध किसानों, महिलाओं और बच्चों से अपने घरों को लौटने का आग्रह किया। उन्होंने किसानों को समझाने का आग्रह करते हुये कहा कि लोग सर्दी और महामारी की स्थिति से परेशानी में हैं। किसानों के लिये सर्दी से न सही, लेकिन कोविड-19 का खतरा तो है। 

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के आन्दोलन से उत्पन्न स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुये सरकार और किसान संगठनों के बीच अब तक वार्ता पर गहरी निराशा व्यक्त की और टिप्पणी की, ‘‘केन्द्र ने बगैर पर्याप्त सलाह मशविरे के ही ये कानून बना दिये। पीठ ने कहा कि वह इस मुद्दे पर किसी प्रकार की हिंसा और लोगों की जान जाने की संभावना को लेकर चिंतित है।’’ 

पीठ ने कहा, ‘‘हम सभी पर इसकी जिम्मेदारी है। एक छोटी सी घटना भी हिंसा भड़का सकती है। अगर कुछ भी गलत हो गया तो हम सभी इसके लिये जिम्मेदार होंगे। हम नहीं चाहते कि हमारे हाथों पर किसी का खून लगा हो।’’ साथ ही पीठ ने कहा कि वह कानून तोड़ने वाले किसी का बचाने नहीं जा रही, वह लोगों की जान-माल की हिफाजत चाहती है। वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान पीठ ने केन्द्र से इन कानूनों को बनाने के लिये अपनाई गयी सलाह मशविरे की प्रक्रिया के बारे में जानना चाहा। पीठ ने कहा कि इस गतिरोध को दूर करने के लिये बातचीत की प्रक्रिया से वह बहुत ही निराश है। 

पीठ ने कहा, ‘‘आपने पर्याप्त सलाह मशविरे के बगैर ही इन कानूनों को बनाया है। अत: आप ही इस आन्दोलन का हल निकालें। हमें नहीं मालूम कि ये कानून बनाने से पहले आपने विचार-विमर्श का कौन सा तरीका अपनाया। कई राज्य इसके खिलाफ आवाज उठा रहे हैं।’’ शीर्ष अदालत ने इस गतिरोध को दूर करने के लिये देश के पूर्व प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने का सुझाव दिया। पीठ ने कहा कि पूर्व प्रधान न्यायाधीश आर एम लोढा से पूछा जा सकता है कि क्या वह इस समिति की अध्यक्षता के लिये तैयार हैं। 

पीठ ने कहा कि उसने पूर्व प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम से बात की थी लेकिन उन्होंने यह कहते हुये इंकार कर दिया कि उन्हें हिन्दी समझने में दिक्कत है। पीठ ने सॉलिसीटर जनरल से कहा कि वह दो तीन पूर्व प्रधान न्यायाधीशों के नाम बतायें जो न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति की अध्यक्षता कर सकें। मेहता ने पीठ से कहा कि जब बैठक में शामिल होने के लिये मंत्री बैठते हैं, तो सरकार के साथ बातचीत के लिये आने वाले किसानों के प्रतिनिधियों में से कुछ अपनी कुर्सियां घुमाकर या अपनी आंखों और कानों को ढंक कर बैठ जाते हैं। 

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement