नई दिल्ली: भीमा कोरेगांव मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की। मामले में मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा ने कहा कि, फिलहाल कार्यकर्ताओं को हाउस अरेस्ट पर रखने का फैसला जारी रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई 19 सितंबर को करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पुणे पुलिस की ओर से जुटाए गए सुबूत पर्याप्त नहीं होने की स्थिति में मामले की जांच SIT को सौंपी जा सकती है। बुधवार को होने वाली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार के वकील को 45 मिनट और बचाव पक्ष के वकील को 15 मिनट में दलीलें पूरी करने को कहा है। (JNU में ABVP के छात्रों पर हमला, 6 कार्यकर्ता घायल )
इसी बीच पांचों एक्टिविस्ट पुराने आदेश के मुताबिक हाउस अरेस्ट रहेंगे। दीपक मिश्रा ने कहा कि, "हम लिबर्टी के आधार पर इस मामले को सुन रहे हैं। स्वतंत्र जांच जैसे मुद्दों पर बाद में चर्चा होगी।" उन्होंने कहा, "हम सिर्फ यह देखना चाहते थे कि कहीं यह मामला कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर या आर्टिकल 32 से जुड़ा हुआ तो नहीं है?"
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "सभी मामलों को एक कोर्ट (हाईकोर्ट) में ट्रांसफर कर देते हैं। याचिकाकर्ता एफआईआर रद्द करने को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर सकते हैं. कोई सबूत नहीं है तो वे फ्री हो जाएंगे। तब तक हाउस अरेस्ट का अंतरिम आदेश जारी रखा जा सकता है।"