यूपी के कुख्यात हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के एनकाउंटर से जुड़े मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कई गंभीर टिप्पणियां कीं। कोर्ट ने इस बात पर हैरानी जताई कि विकास दुबे पर इतने मुकदमे दर्ज होने के बाद भी उसे जमानत क्यों दी गई। सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े ने यूपी सरकार से रिकॉर्ड पेश करने के लिए कहा। बोबड़े ने कहा कि विकास दुबे पर गंभीर अपराध के अनेक मुकदमे दर्ज होने के बाद भी वह जेल से बाहर था। यह सिस्टम की विफलता है।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हैरानी की बात है इतने केस में शामिल शख्स बेल पर था और उसके बाद ये सब हुआ। कोर्ट ने इस पूरे मामले पर तफ्सील से रिपोर्ट मांगते हुए कहा कि ये सिस्टम की नाकामी दिखाता है। कोर्ट ने कहा कि इससे सिर्फ एक घटना दांव पर नहीं है, बल्कि पूरा सिस्टम दांव पर है। वहीं, यूपी सरकार जांच कमेटी के पुनर्गठन पर सहमत हो गई है। बता दें कि यूपी सरकार ने मुठभेड़ की जांच के लिए हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज का न्यायिक आयोग बनाने की बात कही थी, लेकिन याचिकाकर्ता ने इस पर सवाल उठाए थे। जिसके बाद आज सुप्रीम कोर्ट ने इसमें बदलाव की बात कही।
गौरतलब है कि बीते 10 जुलाई को 8 पुलिसकर्मियों की हत्या का मुख्य आरोपी विकास दुबे पुलिस एनकाउंटर में मारा गया था। दुबे के एनकाउंटर पर कई सवाल उठे थे। इस बीच दो वकीलों ने पुलिसिया एनकाउंटर की सीबीआई और एनआईए से जांच कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दाखिल किया था। इस बीच सुप्रीम कोर्ट को जवाब देते हुए उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक हलफानामा पेश किया था जिसमें कहा गया था कि विकास दुबे का एनकाउंटर फर्जी नहीं था।